Sawan 2023: सावन में भूलकर भी शिवलिंग पर न चढ़ाएं ये फूल, महादेव हो जाएंगे नाराज!
Sawan 2023: सावन का महीना बहुत ही पवित्र और शुभ माना जाता है. कहा जाता है कि इस महीने में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया गया छोटा से छोटा काम भी बहुत जल्द अपना असर दिखाता है. सावन में भगवान शिव बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं. ऐसे में भक्त उन्हें महादेव की पसंदीदा चीजें चढ़ाते हैं. लेकिन शास्त्रों में कुछ ऐसी चीजें बताई गई हैं, जिन्हें भूलकर भी महादेव को नहीं चढ़ाना चाहिए.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भगवान शिव को भूलकर भी एक फूल नहीं चढ़ाने चाहिए. ये केतकी का फूल है. केतकी के फूल की कहानी शिव पुराण में बताई गई है कि केतकी के फूल का उपयोग पूजा में क्यों नहीं किया जाता है. आइए जानते हैं केतकी फूल और भगवान शिव की इस कहानी के बारे में.
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केतकी पुष्प की पौराणिक कथा (Sawan 2023)
शिव पुराण में भगवान शिव को केतकी का फूल न चढ़ाने की कथा बताई गई है. एक बार ब्रह्मा जी और विष्णु जी के बीच इस बात पर विवाद हो गया कि सर्वश्रेष्ठ कौन है और इस विवाद को खत्म करने के लिए दोनों को भगवान शिव के पास जाना पड़ा. उस समय महादेव ने एक ज्योतिर्लिंग बनाया और उसका आदि और अंत जानने को कहा. साथ ही कहा कि जो इसे ढूंढ लेगा वही सर्वश्रेष्ठ माना जाएगा.
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इस प्रकार आरंभ और अंत की खोज शुरू हुई
ज्योतिर्लिंग के आदि और अंत का पता लगाने के लिए भगवान विष्णु ऊपर की ओर तथा ब्रह्मा जी नीचे की ओर बढ़ते हैं. ब्रह्मा जी और विष्णु जी ने शिवलिंग का आदि और अंत जानने की लाख कोशिश की. लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला. जब ब्रह्मा जी अंत की खोज करते-करते थक गए तो उन्हें रास्ते में केतकी का फूल मिला. ब्रह्मा जी ने केतकी के फूल से छल करके उसे शिव दी के सामने लेटने को कहा और दोनों ने महादेव के सामने झूठ बोलकर स्वीकार कर लिया कि उन्हें शिवलिंग का अंत मिल गया है.
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भगवान शिव ने दिया था केतकी को श्राप
महादेव को पता था कि ब्रह्मदेव झूठ बोल रहे हैं और इससे क्रोधित होकर उन्होंने ब्रह्मा जी का पांचवां सिर काट दिए. साथ ही केतकी के फूल को श्राप दिया गया कि शिव जी की पूजा में केतकी के फूल का प्रयोग वर्जित रहेगा. तभी से महादेव की पूजा में केतकी का फूल चढ़ाना वर्जित हो गया. केतकी का फूल चढ़ाना पाप माना जाता है. इसलिए सावन या महादेव की पूजा के समय भूलकर भी केतकी का फूल न चढ़ाएं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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