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2 years ago .New Delhi, Delhi, India

Navratri 2022: गरबा और डांडिया में क्या है अंतर? जानें इसका महत्व

मां दुर्गा की पूजा से पहले गरबा नृत्य किया जाता है और हाथ से से खेला जाता है. वहीं मां की पूजा के बाद डांडिया किया जाता है और इसे लकड़ी के छड़ी से खेला जाता है.

Written by:Gautam Kumar
Published: September 25, 2022 01:15:55 New Delhi, Delhi, India

नवरात्रि 2022 (Navratri 2022) का पर्व (Festival) कल यानी 26 सितंबर से शुरू होने जा रहा है. नवरात्रि में लोग गरबा और डांडिया का खूब आनंद लेते हैं. लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि नवरात्रि (Navratri) के दौरान पंडालों या क्लबों में गरबा-डांडिया नृत्य कार्यक्रम विशेष आकर्षण का केंद्र क्यों होते हैं और गरबा-डांडिया में क्या अंतर है?

दरअसल, नवरात्रि में गरबा और डांडिया का बहुत महत्व है, क्योंकि माना जाता है कि इनका संबंध मां की पूजा से है. यही वजह है की नवरात्रि के दौरान न सिर्फ पंडालों में बल्कि क्लबों और रिसॉर्ट्स में भी गरबा और डांडिया के विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जाता है. आइए जानते हैं, गरबा और डांडिया का धार्मिक महत्व क्या है और इन दोनों नृत्यों में क्या अंतर है.

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गरबा और डांडिया का धार्मिक महत्व

गरबा और डांडिया दोनों नृत्य मां दुर्गा से संबंध रखते हैं. गरबा नृत्य देवी दुर्गा की मूर्ति या उनके लिए जलाई गयी ज्योति के चारों ओर घूम कर किया जाता है. यह नृत्य माँ के गर्भ में जीवन का प्रतिनिधित्व करने वाली ज्वाला का प्रतीक है. साथ ही, गरबा नृत्य के दौरान बना चक्र जीवन चक्र का प्रतिनिधित्व करता है. वहीं डांडिया नृत्य के माध्यम से मां दुर्गा और महिषासुर के बीच युद्ध को दर्शाया गया है. डांडिया की रंगीन छड़ी को नृत्य में मां दुर्गा की तलवार के रूप में भी देखा जाता है. इसलिए इसे तलवार नृत्य या तलवार का नृत्य भी कहा जाता है.

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गरबा और डांडिया नृत्य में अंतर

अधिकांश लोग गरबा-डांडिया नृत्य को एक ही मानते हैं, जबकि दोनों नृत्य रूपों में बहुत अंतर होता है. गरबा नृत्य की शुरुआत गुजरात से हुई थी. इस नृत्य में हाथों का उपयोग किया जाता है और इसे बिना किसी चीज की मदद के ही हाथों से खेला जाता है. इसके साथ ही मां दुर्गा की पूजा से पहले गरबा भी किया जाता है. वहीं वृंदावन से डांडिया नृत्य की शुरुआत हुई. डांडिया नृत्य में रंगीन छड़ी का प्रयोग किया जाता है और इस छड़ी को हाथ में बजाया जाता है. मां की पूजा के बाद डांडिया नृत्य किया जाता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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