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1 year ago .New Delhi, India

Jaya Ekadashi 2023 Parana Time: जया एकादशी व्रत का पारण कब करें? यहां जानें

हिंदू धर्म में जया एकादशी का अधिक महत्व है.(फोटो साभार: Pixabay)

  • जया एकादशी का व्रत माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है.
  • इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है.
  • यहां जानें जया एकादशी शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और पारण समय.

Written by:Kaushik
Published: January 29, 2023 09:38:16 New Delhi, India

Jaya Ekadashi 2023 Parana Time: जया एकादशी का व्रत माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है. कहा जाता है कि इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा (Puja) करने और व्रत रखने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. माघ माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन जया एकादशी का व्रत रखा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा-पूजा अर्चना की जाती है.जया एकादशी के दिन भोजन, वस्त्र, धन और आवश्यक चीजों का दान करना उत्तम माना जाता है. जया एकादशी को दक्षिण भारत में भीष्म एकादशी और भूमि एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. शास्त्रों में बताया गया है कि जया एकादशी का व्रत जो इंसान करता है. उसे मृत्यु के बाद भूत-प्रेत नहीं बनना पड़ता है. चलिए जानते हैं जया एकादशी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और पारण समय.

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जया एकादशी का शुभ मुहूर्त (Jaya Ekadashi 2023)

हिंदू पंचांग के मुताबिक, जया एकादशी की शुरुआत 31 जनवरी 2023 को रात 11 बजकर 53 मिनट पर होगी और इसका समापन 01 फरवरी 2023 को दोपहर 02 बजकर 01 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार, जया एकादशी 01 फरवरी को ही मनाई जाएगी.
जया एकादशी पारण- 02 फरवरी 2023, सुबह 07 बजकर 09 मिनट से सुबह 09 बजकर 19 मिनट तक

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जया एकादशी पूजा विधि

-जया एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें.
-अब एकादशी व्रत का संकल्प लें और विष्णु जी की पूजा करें.
-भगवान विष्ण़ु को पीले फूल अर्पित करें.
-भगवान विष्ण़ु के सामने घी में हल्दी मिलाकर दीपक जलाएं.
-दूध और केसर से बनी मिठाई पीपल के पत्ते पर रखकर भगवान का भोग लगाएं.

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-एकादशी की शाम तुलसी के पौधे के सामने दीपक जलाएं.
-इसके बाद भगवान विष्णु को केले चढ़ाएं और गरीबों को भी केले बांट दें.
-भगवान विष्णु के साथ लक्ष्मी का पूजा-अर्चना करें और गोमती चक्र और पीली कौड़ी भी पूजा में रखें.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.

 

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