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Govatsa Dwadashi 2023: कब मनाई जाएगी गोवत्स द्वादशी? जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा का महत्व

गोवत्स द्वादशी गौ माता और बछड़े को समर्पित है. (फोटो साभार: Twitter @visrane)

गोवत्स द्वादशी गौ माता और बछड़े को समर्पित है. गोवत्स द्वादशी भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को आती है. इसे बछ बारस के नाम से भी जाना जाता है.

Written by:Gautam Kumar
Published: September 10, 2023 12:45:00 New Delhi

Govatsa Dwadashi 2023: गोवत्स द्वादशी भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को आती है. इसे बछ बारस के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन पहली बार गायें और बछड़े को कान्हा वन में चरने गये थे. गोवत्स द्वादशी का दिन गाय माता और बछड़े को समर्पित है.

इस दिन उनकी पूजा करने से श्री कृष्ण अपनी संतानों को हर संकट से बचाते हैं. पुत्र प्राप्ति की मंगल कामना के लिए गोवत्स द्वादशी का व्रत अत्यंत शुभ माना जाता है. आइए जानते हैं साल 2023 में गोवत्स द्वादशी की तारीख, शुभ मुहूर्त और महत्व.

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गोवत्स द्वादशी 2023 तिथि (Govatsa Dwadashi 2023)

इस वर्ष गोवत्स द्वादशी 11 सितंबर 2023, सोमवार को मनाई जाएगी. इस दिन महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और हर विपदा से उनकी सुरक्षा और समृद्धि के लिए यह व्रत रखती हैं. इस दिन अजा एकादशी व्रत का पारण भी की करते है.

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गोवत्स द्वादशी 2023 मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि 10 सितंबर 2023 को रात 09:28 बजे शुरू होगी और अगले दिन 11 सितंबर 2023 को रात 11:52 बजे समाप्त होगी.

गाय-बछड़े की पूजा का समय- प्रातः 04:32 – प्रातः 06:03 तक है.

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गोवत्स द्वादशी महत्व

सनातन धर्म के अनुसार गौ माता में 33 कोटि देवी-देवताओं का वास है. इस दिन गाय की सेवा करने से इतना पुण्य मिलता है जो बड़े-बड़े यज्ञ, दान आदि करने से भी नहीं मिलता. भविष्य पुराण के अनुसार, जो व्यक्ति गोवत्स द्वादशी के दिन गाय और बछड़े की पूजा करता है और व्रत रखता है, उसे सभी सुखों का आनंद मिलता है. . गाय के शरीर पर जितने बाल हैं उतने वर्षों तक सुख भोगने वाला व्यक्ति गौलोक में निवास करता है. श्रीकृष्ण की कृपा से उन्हें संतान सुख, समृद्धि और उन्नति का आशीर्वाद मिलता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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