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8 months ago .New Delhi, India

Bhaum Pradosh Vrat Puja Vidhi: भौम प्रद्रोष व्रत की पूजा कैसे करें? जानें ये तरीका फिर नहीं होगी आर्थिक तंगी!

भौम प्रदोष व्रत की पूजा. (फोटो साभार: Unsplash)

भाद्रपद माह में भौम प्रदोष व्रत पड़ता है. इस साल इस तिथित पर शुभ योग बने हैं. इसमें व्रत करने से दोगुना लाभ मिलता है.

Written by:Sneha
Published: September 12, 2023 07:49:34 New Delhi, India

Bhaum Pradosh Vrat Puja Vidhi: हिंदू धर्म में एकादशी, प्रदोष, अमावस्या और पूर्णिमा के विशेष महत्व बताए गए हैं और ये सभी हर महीने आते हैं. इसमें से प्रदोष व्रत और एकादशी साल में 24 होते हैं जो हर महीने में दो बार होते हैं. वहीं अमावस्या और पूर्णिमा साल में 12 बार होते हैं और महीने में 1 बार आते हैं. हर प्रदोष व्रत का मतलब अलग-अलग होता है और उनमें से है भौम प्रदोष व्रत जो भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर आता है. वैसे तो प्रदोष व्रत भगवान शंकर को समर्पित होता है लेकिन भौम प्रदोष व्रत में महादेव के अवतार हनुमान जी भी पूजा की जाती है. भौम प्रदोष व्रत को सच्चे मन और श्रद्धा के साथ करने से आपको आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है.

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भौम प्रद्रोष व्रत की पूजा कैसे करें? (Bhaum Pradosh Vrat Puja Vidhi)

भौम प्रदोष व्रत में भगवान हनुमान जी की पूजा की जाती है और इस साल 12 सितंबर को ये खास दिन पड़ा है और इस दिन मंगलवार है जिसे हनुमान का वार कहा जाता है. मंगलवार को शिव योग और भौम प्रदोष व्रत है और इस योग में पूजा करने से आपको सभी परेशानियों से छुटकारा तो मिलेगा ही साथ में आर्थिक तंगी भी दूर हो जाएगी. भौम प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल शाम 5.49 बजे से रात 8.21 बजे तक रहेगा और इसी समय में आपको भगवान शंकर की पूजा के साथ हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए. इसके साथ ही भौम प्रदोष व्रत कथा भी पढ़ें जिसका लाभ आपको मिलेगा. कथा के समय घी का दीपक लगातार जलाएं. पूजा शुरू करने और दीपक जलाने से पहले आपको अपने मन में अपनी मनोकामना बोलनी है और उसके बाद अपनी पूजा शुरू करके समाप्त करें.

आपकी जानकारी के लिए बता दें, भौम प्रदोष व्रत का संकल्प आपको 12 सितंबर की सुबह-सुबह ही लेना है. उसके पहले गंगा स्नान या घर में गंगाजल डालकर स्नान करें. इसके बाद भगवान शंकर के सामने अपने व्रत का संकल्प लें और पूजा-पाठ से अपना दिन शुरू करें. शाम को शुभ मुहूर्त के समय भगवान शंकर की प्रतीमा के सामने धूर-दीप जलाएं, प्रसाद चढ़ाएं, कथा पढ़ें, आरती करें. पूजा समाप्त होने के बाद हो सके तो वो दीया गंगाजी में प्रवाहित कर दें और घर आकर प्रसाद वितरण करने के बाद आप भी ग्रहण करें. भगवान शंकर और हनुमान जी आपकी सभी मनोकामनाएं इससे पूरी करेंगे.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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