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1 year ago .New Delhi, India

Banke Bihari: किस दिन होंगे बांकेबिहारी के चरण दर्शन, 500 सालों से केवल साल में एक बार होते है चरण दर्शन

बांकेबिहारी चरण दर्शन साल में केवल एक दिन होते हैं (फोटोः Twitter)

  • बांकेबिहारी जी के चरण दर्शन साल में केवल एक बार क्यों होते हैं

  • 500 सालों की है परंपरा साल में एक बार बांकेबिहारी जी के चरण दर्शन

  • बांकेबिहारी चरण दर्शन इस साल कब होंगे


Written by:Sandip
Published: April 11, 2023 04:59:21 New Delhi, India

Banke Bihari: विश्व प्रसिद्ध वृंदावन के बांकेबिहारी जी (Banke Bihari) के चरण के दर्शन का बहुत ही महत्व है. बांकेबिहारी जी के चरण दर्शन श्रद्धालुओं को साल में एक बार ही होता है. ऐसे में आपको पहले जान लेना चाहिए कि, बांकेबिहार जी (Banke Bihari) के चरण के दर्शन आपको कब हो सकता है. बांकेबिहारी जी के चरणों के दर्शन से भक्तों की मनोकामना पूरी होती है.

Banke Bihari के चरण के दर्शन साल में केवल एक बार होता है

बांकेबिहारी जी के चरण के दर्शन अक्षय तृतीया के दिन होता है. ये साल में एक बार होता है जो 500 सालों से परंपारा चली आ रही है. ठाकुरजी के चरणों में अपार खजाना है, मान्यता है ठाकुरजी के चरण के विलक्षण दर्शन करने वाले की हर मनोकामना पूर्ण होती है. यही कारण है कि अक्षय तृतीया पर आराध्य के चरण दर्शन को देश दुनिया से लाखों भक्त वृंदावन में डेरा डालकर आराध्य के चरणों की एक झलक पाने को उतावले रहते हैं.

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स्वामी हरिदास ने शुरू की थी बांकेबिहारी जी के चरण के दर्शन न कराने की परंपरा

इस दिन ठाकुरजी सुबह तो राजा के भेष में चरण दर्शन देते हैं और उनके चरणों में चंदन का सवा किलो वजन का लड्डू भी रखा जाता है. मंदिर सेवायतों की मानें तो ये चंदन का लड्डू भी इसी मान्यता के तौर पर रखा जाता है, कि स्वर्ण मुद्रा के दर्शन भक्तों को करवाए जा सकें.

कहा जाता है कि, स्वामी हरिदास ने ठाकुरजी के चरण दर्शन न करवाने की जो परंपरा पांच सौ साल पहले शुरू की थी. मंदिर के सेवायत भी उसी परंपरा का निर्वहन करते आ रहे हैं.

स्वामी हरिदास संगीत सम्राठ थे और वह दिन रात बांकेबिहारी जी की सेवा में लगे रहते थे.हालात ऐसे हो गए की दिन भर उनकी सेवा में रहने से उनके पास आर्थिक संकट हो गया. तब बांकेबिहार खुश होकर दर्शन दिये और हर सुबह उनके चरण में एक स्वर्ण मुद्रा निकलती थी. जिससे हरिदास उनके सेवा की व्यवस्था को संचालित करते थे. यही कारण था कि बांकेबिहार के चरण के दर्शन सभी को नहीं कराया जाता था. लेकिन बाद में साल में एक बार अक्षय तृतीया के दिन बांकेबिहारी के चरण के दर्शन की परंपरा शुरू हुई.

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अक्षय तृतीया पर ठाकुरजी के दिव्य चरण व सर्वांग चंदन लेपन दर्शन होते हैं. जो कि श्रद्धालुओं के लिए दुर्लभ दर्शन है. ठाकुरजी के पूरे शरीर पर चंदन लेपन, लांघ बंधी धोती, सिर से पैर तक स्वर्ण श्रृंगार, सोने, हीरे और जवाहरात से जड़े कटारे, टिपारे, चरणों में चंदन का लड्डू ठाकुरजी के दर्शन को दिव्य बनाते हैं.

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