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2 years ago .New Delhi, Delhi, India

Aja Ekadashi 2022: भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को करें प्रसन्न,बरसेगी कृपा

अजा एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की कृपा बरसती है और श्रद्धालु इस लोक में सुख भोगकर अंत में विष्णु लोक में पहुंच जाता है.

Written by:Sneha
Published: August 22, 2022 01:39:19 New Delhi, Delhi, India

Aja Ekadashi 2022: भाद्र माह की कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को अजा एकादशी (Aja Ekadashi) कहते हैं. धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो अजा एकादशी (Aja Ekadashi 2022 Date) व्रत के बहुत महत्व बताए गए हैं. आज ही के दिन यानी 22 अगस्त को ये विशेष व्रत रखा जाएगा. माना जाता है कि अजा एकादशी व्रत  (Aja Ekadashi 2022 Vart) करने से व्यक्ति के पापों का नाश हो जाते हैं. इस व्रत को करने से भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की कृपा बरसती है और श्रद्धालु इस लोक में सुख भोगकर अंत में विष्णु लोक में पहुंच जाता है.

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अजा एकादशी पर करें भगवान विष्णु को प्रसन्न

एकादशी का दिन भगवान विष्णु को अतिप्रिय है. अजा एकादशी पर भगवान विष्णु के साथ अगर देवी लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है तो बहुत शुभ माना जाता है. इन्हें प्रसन्न करने वालों को किसी भी चीज की कमी नहीं रहती है. एकादशी का व्रत रखने वाले दिनभर व्रत रखें और रातभर जागरण करें. इस दौरान श्रीहरि का ध्यान जरूर लगाएं. याद रखें भगवान विष्णु का भोग तुलसी दल के बिना अधूरा होता है. तुलसी जी का महत्व भगवान विष्णु के लिए विशेष है. एकादशी के व्रत नियमों का पालन करने से ही व्रत का लाभ मिलता है. इस दिन अजा एकादशी व्रत कथा पढ़ना और सुनना लाभकारी होता है.

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अजा एकादशी व्रत कथा

अजा एकादशी व्रत के बारे में ‘ब्रह्मवैवर्त पुराण’ में मिलता है. किंवदंती के अनुसार, हरिश्चंद्र नाम का एक ईमानदार और उदार राजा रहता था. वह एक सच्चे राजनेता के उत्कृष्ट उदाहरण थे. हालांकि एक दुर्भाग्यपूर्ण दिन उन्होंने अपना राज्य, अपना सामान और साथ ही अपने परिवार को भी खो दिया. इसके बाद उन्हें एक श्मशान में काम करने के लिए मजबूर होना पड़ा. 

उन्होंने अपना काम अत्यंत समर्पण के साथ किया लेकिन आश्चर्य हुआ कि बिना किसी गलती के उन्हें उनके भाग्य द्वारा दंडित क्यों किया गया. एक दिन ऋषि गौतम ने तुरंत उन्हें पहचान लिया और उनकी दयनीय स्थिति पर खेद महसूस किया. 

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वह जानते थे कि राजा अपने पिछले जन्म के दौरान किए गए पापों के लिए भुगतान कर रहा था. इसलिए, ऋषि ने सुझाव दिया कि हरिश्चंद्र को अजा एकादशी व्रत का पालन करना चाहिए ताकि वह पिछले या पिछले जन्मों में जाने या अनजाने में किए गए किसी भी गलत काम के बोझ से खुद को मुक्त कर सके.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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