भगवान शंकर को समर्पित कई व्रत त्योहार हैं लेकिन प्रदोष व्रत प्रत्येक माह में होता है जो कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को पड़ता है. भगवान शंकर को प्रसन्न करना बहुत आसान होता है लेकिन उनकी पूजा बहुत ही भक्ति के साथ करनी चाहिए. प्रदोष का व्रत भगवान शंकर का व्रत सबसे कल्याणकारी होता है. भगवान शंकर की पूजा करने के लिए आपको इस व्रत को करना चाहिए इससे आपके सभी दुख दूर हो सकते हैं और जब त्रयोदशी तिथि शुक्रवार को आती है जिसे शुक्र प्रदोष कहते हैं.
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महादेव का ये व्रत होगा फलदायी
प्रदोष व्रत में ऊं नम: शिवाय का जाप करना जरूरी होता है और प्रदोष व्रत उन लोगों को जरूर करना चाहिए. जिन लोगों को संतान नहीं हो रही हो, जो लोग कर्ज में डूबे हों या जो लोग भूमि, भवन, संपत्ति खरीदना चाहते हों. प्रदोष व्रत में शिव स्त्रोत का पाठ करना सही होता है. पूजा के दौरान माथे पर तिलक लगाना और महादेव की पूजा करना उन्हें प्रसन्न कर सकता है. प्रदोष व्रत वाले दिन पीपल के पेड़ की 108 परिक्रमा करना बेहद जरूरी होता है और इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए.
प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल की शाम के समय लगभग 45 मिनट तक करनी चाहिए. इस व्रत से आयु लंबी होती है और मानसिक रोग हो या स्वास्थ्य से कमजोर लोगों के लिए इस दिन भगवान शिव की अराधना करनी चाहिए. इस दिन सुबह ही स्नान करके व्रत की शुरुआथ करनी चाहिए. भगवान शिव की पूजा बहुत ही आसान होती है और उनकी चालिसा करनी चाहिए. भगवान शिव की पूजा में बेलपत्री जरूरी होता है, इसके अलावा धतुरा, दूध, धूब और फल चढ़ाना चाहिए.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.
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