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2 years ago .New Delhi, Delhi, India

कब है हरतालिका तीज, यहां जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत का नियम

  •  प्रत्येक वर्ष हरितालिका तीज का व्रत रखा जाता है. 
  • इस साल हरितालिका तीज का व्रत 31 जुलाई के दिन रखा जाएगा. 
  • यहां जानें हरितालिका तीज व्रत का शुभ मुहूर्त,नियम और पूजा विधि.

Written by:Kaushik
Published: June 24, 2022 11:05:23 New Delhi, Delhi, India

Hartalika Teej 2022:भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को प्रत्येक वर्ष हरितालिका तीज का व्रत रखा जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल हरितालिका तीज (Hartalika Teej) का व्रत 31 जुलाई रविवार के दिन रखा जाएगा. इस व्रत को देश में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है.

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एबीपी न्यूज़ के अनुसार, हरतालिका तीज को तीजा के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन महिलाएं अपने पति के अच्छे स्वास्थ्य और लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. यह व्रत निर्जल और निराहार रहकर पति की लंबी आयु के लिए किया जाता है. आपको जानकारी के लिए बता दें कि यदि कोई महिला इस व्रत को एक बार शुरू कर देती है. तो इसे बीच में छोड़ा नहीं जाता है. इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. पूजा के दौरान पति के अच्छे स्वास्थ्य और लंबी आयु के लिए कामना की जाती है.

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हरतालिका तीज व्रत का शुभ मुहूर्त

हरतालिका तीज की पूजा 31 जुलाई को प्रातः 6:30 से 8:33 के मध्य करना उत्तम है.

हरतालिका तीज की प्रदोष पूजा के लिए सायंकाल 6:33 से रात्रि 8:51 तक शुभ मुहूर्त है.

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हरतालिका व्रत रखने के नियम

ऐसा माना जाता है कि जो महिलाएं पहली बार इस व्रत को रखने की सोच रही हैं. तो वह एक हरतालिका व्रत शुरु करने के बाद बीच में नहीं छोड़ सकती.

यदि व्रत के दौरान महिलाओं को मासिक धर्म हो जाए तो वह दूर से ही भगवान की कथा सुनें. भगवान को नहीं छूना चाहिए.

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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हरतालिका तीज के दिन महिलाएं रात्रि में जागरण करती हैं और इसके अलावा भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं. ऐसी मान्यता है कि जो इंसान हरतालिका व्रत में रात में सो जाता है. तो वह अगले जन्म में अजगर के रूप में जन्म लेता है.

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क्या है हरतालिका पूजा विधि?

सबसे पहले आपको काली गीली मिट्टी से माता पार्वती, भगवान शिव और भगवान गणेश की प्रतिमा बनानी चाहिए. फिर उन्हें फूलों से सजाएं और उन प्रतिमाओं को कुछ देर के लिए सूखने दें. अब आप लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर पूजा की तैयारी करिए और तीनों प्रतिमाओं को पीले कपड़े पर स्थापित करें. अब कलश के ऊपर स्वास्तिक बनाएं और कलश में जल भरकर उसमें सुपारी, सिक्का और हल्दी डाल दें. मूर्तियों का विधि विधान से अभिषेक करें और अब माता पार्वती को सुहाग का सामान चढ़ाएं. शिवजी को धोती और गमछा चढ़ाएं. पूजा के बाद माता पार्वती को लगा हुआ सिंदूर अपनी मांग में लगाएं.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है

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