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10 months ago .New Delhi, India

Political Opinion: मौजूदा राजनीति में अपने-अपने नहीं रहे तो जनता के कौन!

महाराष्ट्र की राजनीति में एक साल बाद दोबारा वही दौर (फोटोः Twitter)

महाराष्ट्र की सियासत में केवल कुर्सी का खेल चल रहा है एक साल पहले शिवसेना टूटी थी अब एनसीपी महाराष्ट्र में राजनीति का खेल साल 2019 से शुरु हुआ था

Written by:Sandip
Published: July 03, 2023 08:15:00 New Delhi, India

देश की मौजूदा राजनीति को समझना शायद आम लोगों के लिए थोड़ा जटिल सा हो गया है. वैसे राजनेताओं को समझना तो हमेशा से मुश्किल था लेकिन लोग राजनीति को समझ जाते थे. लेकिन मौजूदा दौर जो चल रहा है वह काफी घातक है. ताजा मामले की ही बात करें तो महाराष्ट्र में जिस तरह से उथल-पुथल राजनीति में मची है. इससे अलग-अलग संगठनों के नेता तो कंफ्यूज है ही साथ ही जनता के लिए जटिल समस्या उत्पन्न हो गई है. जहां राजनीति को हमेशा से विचारधाराओं के साथ चलती दिखती थी. अब वह कुर्सी के इर्द-गिर्द घुमती नजर आती है. महाराष्ट्र की राजनीति में पिछले दो-तीन सालों से कुछ ऐसा ही दिख रहा है. विचारधाराओं को बंद बस्ते में रख कुर्सी के लिए राजनेता अपनी-अपनी राजनीति करते दिख रहे हैं. जिसमें जनता केवल पिसती नजर आ रही है. इसमें सबसे बड़ा सवाल उठता है जनता के उन वोटों का क्या जिस विचारधारा को देखकर उन्होंने मतदान किया था.

2019 से ही शुरु हुआ था कुर्सी का खेल

हालांकि, महाराष्ट्र अकेला ऐसा राज्य नहीं है जहां कुर्सी के पीछे राजनीति घुमती दिख रही है. ये अलग बात है कि, महाराष्ट्र के हालात ताजा है और सुर्खियों में है. लेकिन ये भी कहना गलत नहीं होगा कि, महाराष्ट्र की राजनीति में कुर्सी सियासत चरम पर है. इसकी शुरुआत अभी नहीं हुई थी ये साल 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद से ही शुरू हो गया था. जब शिवसेना ने बीजेपी का साथ छोड़कर कांग्रेस और एनसीपी के साथ महाविकास अघाड़ी की सरकार बनाई थी. तब उद्धव ठाकरे कुर्सी के लिए सारे विचारधाराओं को छोड़कर इस जंग में उतर गई थी. हालांकि, बीजेपी ने विचारधारा को ही हथियार बनाकर शिवसेना पर आघात किया और शिवसेना पूरी तरह से बिखड़ गई.

एक साल पहले टूटी थी शिवसेना

आज जो एनसीपी के नेता अजित पवार बीजेपी के साथ खड़े हैं ये खेल साल 2019 में ही बीजेपी ने रातोंरात किया था. लेकिन अब चार साल बाद ये दिन के उजाले में हुआ है. हालांकि, उस वक्त बीजेपी को नाकामयाबी हाथ लगी थी. लेकिन इन चार सालों में बीजेपी ने अपनी राजनीति खेल से सारी बाजी को पलट कर रख दिया. अभी से एक साल पहले ही जुलाई 2022 में बीजेपी शिवसेना को तोड़ने में कामयाब रही थी. एकनाथ शिंदे के जरिए 40 विधायकों के साथ शिवसेना को तोड़ दिया और शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे कुछ नहीं कर पाए. एकनाथ शिंदे ने न केवल उद्धव ठाकरे को कुर्सी से उतारा बल्कि पूरी पार्टी पर कब्जा कर लिया. अब वही हालात एक साल बाद एनसीपी के सामने हैं. जहां शरद पवार एनसीपी के मुखिया होते हुए भी अजित पवार ने पूरी पार्टी को अपना बता रहे हैं.

यह भी पढ़ेंः कौन हैं अजित पवार? बन गए हैं महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री

अब अजित पवार को भी डिप्टी सीएम की कुर्सी हासिल कर ली है और 40 विधायकों के सपोर्ट का दावा कर रहे हैं. इस राजनीति में अजित पवार एक कदम आगे निकले कि उन्होंने अपने ही चाचा शरद पवार के साथ बगावत कर उन्हें दरकिनार कर दिया. जहां एक ओर एकनाथ शिंदे जो उद्धव ठाकरे के सबसे करीबी नेता माने जाते थे लेकिन उन्होंने ऐसी सियासी चाल खेली की शिवसेना के सारे दिग्गज ढेर हो गए. अब अजित पवार ने भी कुछ ऐसा ही कारनामा किया है.

ऐसे में ये सवाल उठना लाजमी है, राजनीति में अपने-अपने नहीं रहे तो जनता के कौन!

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