महाराष्ट्र MLC चुनाव: महागठबंधन को झटका, BJP का 10 में से 5 सीटों पर कब्जा
- महाराष्ट्र MLC चुनाव में महागठबंधन पर फिर भारी पड़ी बीजेपी.
- बीजेपी ने 10 में से 5, शिवसेना, NCP ने दो-दो और कांग्रेस ने एक सीट जीती.
- माना जा रहा है कांग्रेस की तरफ से हुई क्रॉस वोटिंग.
महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव (Maharashtra Vidhan Parishad Election) में सत्तारूढ़ गठबंधन के पांच उम्मीदवारों के साथ बीजेपी के भी पांच प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की. माना जा रहा है कि महागठबंधन के कुछ विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की. राज्य सभा चुनाव में इरादों पर पानी फिरने के बाद 10 सीटों पर हुआ MLC चुनाव सत्तारूढ़ गठबंधन महाविकास आघाडी के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई थी. हालांकि, इसमें भी बीजेपी अपने दम पर आधी सीटें जीतने में कामयाब रही.
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मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना से उम्मीदवार सचिन अहीर और अमश्य पड़वी की जीत हुई. शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के एकनाथ खडसे और रामराजे निंबालकर ने जीत दर्ज की. बीजेपी के श्रीकांत भारती, प्रवीण दरेकर, उमा खपरे और राम शिंदे विधान परिषद पहुंचने में सफल रहे. बीजेपी के प्रसाद लाड भी पांचवीं सीट पर क्रॉस वोटिंग के दम पर जीत हासिल करने में सफल रहे.
कांग्रेस के दो उम्मीदवार एक ही सीट के लिए लड़ रहे थे. कांग्रेस के भाई जगताप ने चंद्रकांत हंडोरे के खिलाफ जीत दर्ज की.
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस के 44 विधायक विधानसभा में मौजूद थे, लेकिन नतीजों ने साफ कर दिया कि कांग्रेस को सिर्फ 41 विधायकों ने वोट दिया है. कांग्रेस के तीन विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है.
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कांग्रेस ने बीजेपी विधायक मुक्ता तिलक और लक्ष्मण जगताप के वोट डालने पर आपत्ति जताई, जिससे शाम 5 बजे शुरू होने वाली मतगणना में दो घंटे से अधिक की देरी हुई. दोनों बीमार विधायकों ने सहायकों की मदद से वोट डाला था, जिस पर कांग्रेस आपत्ति जता रही थी. हालांकि चुनाव आयोग ने कांग्रेस की आपत्ति को खारिज कर दिया.
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विधान परिषद की 10 सीटों के लिए कुल मिलाकर 11 उम्मीदवार रेस में शामिल थे, जिसमें महाविकास आघाडी सहयोगी शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के दो-दो उम्मीदवार मैदान में थे. जबकि बीजेपी ने पांच उम्मीदवारों को उतारा था.
महाराष्ट्र विधानसभा में पार्टियों की ताकत को देखते हुए नौ उम्मीदवारों की जीत लगभग पक्की मानी जा रही थी. मुख्य मुकाबले की उम्मीद कांग्रेस के मुंबई अध्यक्ष भाई जगताप और बीजेपी के प्रसाद लाड के बीच थी.
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एक उम्मीदवार को जीतने के लिए कम से कम 26 विधायकों के समर्थन की जरूरत थी. 29 निर्दलीय विधायक चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे.
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