देश में मनाया जा रहा Hindi Diwas 2022, लेकिन हिंदी आजतक क्यों नहीं बन पाई राष्ट्रभाषा
हर साल 14 सिंतबर को पूरे देश में हिंदी दिवस (Hindi Diwas) को मनाया जाता है. इस साल भी पूरे देश में हिंदी दिवस को सेलिब्रेट किया जा रहा है. हालांकि, आपको बता दें, हिंदी हमारे देश की राष्ट्रभाषा नहीं. हिंदी को तवज्जो दी जा रही है लेकिन इसे आजतक राष्ट्रभाषा नहीं बनाई गई है. अलग-अलग धर्म, जाति, संस्कृति, भाषा, वेश-भूषाओं वाले इस देश को एक रखने में हिंदी की महत्वपूर्ण भूमिका है. लेकिन फिर भी हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं बन सकी. ऐसे में सवाल उठता है कि ऐसा क्यों नहीं किया जा रहा है.
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दरअसल, जब संविधान का मसौदा तैयार किया जा रहा था तो उस वक्त हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की मांग तेज हुई थी. इस मुद्दे पर काफी लंबी बहस भी हुई. क्योंकि दक्षिण के प्रतिनिधि हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाए जाने को लेकर अपना विरोध प्रकट कर रहे थे. लेकिन विचार विमर्स के बाद अंग्रेजी के साथ हिंदी को देश की राजभाषा का दर्जा मिलना तय हुआ. यानी हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं बल्कि राजभाषा है. राजभाषा का मतलब है कि, राज्य इसे अपने राजकाज के काम में ला सकते हैं.
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आपको बता दें, महात्मा गांधी ने हिंदी को जनमानस की भाषा कहा था. साल 1918 में आयोजित हिंदी साहित्य सम्मेलन में गांधी जी ने हिंदी को राष्ट्र भाषा बनाने की बात कही थी. वे सालो तक हिंदुस्तानी और देवनागरी लिपि के प्रचार-प्रसार में लगे हुए थे. उन्होंने हरिजन अखबार में लिखा था कि हिन्दुस्तानी भाषा को कठिन संस्कृत वाली हिंदी और फारसी से भरी उर्दू भाषा से अलग होना चाहिए जो कि इन दोनों भाषाओं का मिश्रण हो.
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14 सितंबर, 1949 को संविधान सभा में देवनागरी लिपि में लिखी हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार किया गया था. इसके बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू की सरकार ने इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया. हालांकि, साल 1950, 1951 और 1952 में हिंदी दिवस नहीं मनाया गया था. आधिकारिक रूप से पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया गया था.
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हम में से कई लोगों का मानना है कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, लेकिन यह सच नहीं है. हिंदी हमारी मातृभाषा है और यह राष्ट्रभाषा के रूप में कहीं भी पंजीकृत नहीं है. वास्तव में भारत की कोई आधिकारिक राष्ट्रीय भाषा नहीं है. संविधान के अनुच्छेद 343 के खंड (1) के अनुसार देवनागरी लिपि में लिखित हिंदी संघ की राजभाषा है. संघ के शासकीय कामों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतरराष्ट्रीय रूप होगा.
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हिंदी भाषा भारत के कई राज्यों में बोली जाती है. साहित्य और कला प्रेमियों के लिए यह भाषा कुछ ज्यादा ही लगाव रखती है. भारत के अलावा सूरीनाम, त्रिनिदाद और टोबैगो, नेपाल मॉरीशस, फिजी, गुयाना, अमेरिका जैसे देशों में भी हिंदी खासतौर पर बोली जाती है.
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