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जलवायु परिवर्तन: आईपीसीसी की रिपोर्ट में भारत के लिए क्या कहा गया है?

संयुक्त राष्ट्र के इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) ने एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें बताया गया है कि आने वाले दशकों में जलवायु परिवर्तन किस तरह से दुनिया को बदलेगा.

Written by:Akashdeep
Published: August 10, 2021 01:49:57 New Delhi, Delhi, India

जलवायु संकट (climate crisis) का प्रभाव दुनिया भर में देखा जा सकता है और अभी कार्रवाई नहीं करने से जीवन, आजीविका और प्राकृतिक आवास नष्ट हो जाएंगे. पर्यावरण विशेषज्ञों ने सोमवार को चेतावनी दी और दोहराया कि जलवायु परिवर्तन अभी हो रहा है और इससे “कोई भी सुरक्षित नहीं है.”

संयुक्त राष्ट्र के इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) ने एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें बताया गया है कि आने वाले दशकों में जलवायु परिवर्तन किस तरह से दुनिया को बदलेगा. इस रिपोर्ट को 14,000 से अधिक वैज्ञानिक कागजात का अध्ययन करके तैयार किया गया है.

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) ने कहा कि उत्सर्जन (emissions) में भारत का योगदान मामूली रहा है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि देश को कार्रवाई करने की जरूरत नहीं है.

संयुक्त राष्ट्र (UN) के इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) की नवीनतम रिपोर्ट – क्लाइमेट चेंज 2021: द फिजिकल साइंस बेसिस – के लॉन्च के बाद प्रतिक्रियाएं आईं, जिसने आने वाले वर्षों में दुनिया भर में चरम मौसम की घटनाओं में वृद्धि की चेतावनी दी. 

एक वर्चुअल प्रेस मीट में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की कार्यकारी निदेशक इंगर एंडरसन ने एक चेतावनी नोट जारी करते हुए कहा, “जलवायु परिवर्तन यहां और अभी है. कोई भी सुरक्षित नहीं है. इतने सालों तक चेतावनियों के बावजूद, दुनिया ने नहीं सुना. हमें अभी कार्य करने की आवश्यकता है. ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने से न केवल जलवायु परिवर्तन सीमित होगा बल्कि वायु प्रदूषण भी कम होगा.” उन्होंने यह भी कहा कि हाल ही में संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज के 191 दलों में से केवल 110 देशों ने अगले जलवायु सम्मेलन (COP 26) से पहले नए राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDCs) प्रस्तुत किए हैं.

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इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) की रिपोर्ट में कही गई महत्वपूर्ण बातें- 

* पृथ्वी की सतह का औसत तापमान साल 2030 तक 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाएगा.

* बढ़ते तापमान से दुनिया भर में मौसम से जुड़ी भयंकर आपदाएं आएंगी. दुनिया पहले ही, बर्फ की चादरों के पिघलने, समुद्र के बढ़ते स्तर और बढ़ते अम्लीकरण में अपरिवर्तनीय बदलाव झेल रही है.

कुछ बदलाव सौ या हजारों वर्षों तक जारी रहेंगे, उन्हें केवल उत्सर्जन में कमी से ही धीमा किया जा सकता है.

वायुमंडल को गर्म करने वाली गैसों का उत्सर्जन जिस तरह से जारी है, उसकी वजह से सिर्फ दो दशकों में ही तापमान की सीमाएं टूट चुकी हैं.

जलवायु परिवर्तन वॉटर साइकिल को तेज कर रहा है. इससे कई क्षेत्रों में अधिक वर्षा और संबंधित बाढ़ के साथ-साथ ज्यादा सूखा पड़ सकता है. 

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इस रिपोर्ट में भारत के लिए क्या कहा गया?

IPCC की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले कुछ दशकों में पूरे भारत और उपमहाद्वीप में बढ़ती हीटवेव, सूखा और बारिश की घटनाओं में वृद्धि और अधिक चक्रवाती गतिविधि होने की संभावना है. इस सदी के दौरान वार्षिक और ग्रीष्म, दोनों मॉनसून वर्षा में वृद्धि होगी.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 20वीं सदी के सेकेंड हाफ में दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशियाई मॉनसून, मुख्य रूप से मानवीय गतिविधियों के कारण एरोसोल और पार्टिकुलेट मैटर में वृद्धि के कारण कमजोर हुआ है.

वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट इंडिया में क्लाइमेट प्रोग्राम की निदेशक उल्का केलकर ने कहा कि आईपीसीसी की ओर से 30 साल की चेतावनियों के बावजूद, अत्यधिक मौसम पर घबराहट के बीच ये रिपोर्ट आई है. उन्होंने कहा, “भारत के लिए, इस रिपोर्ट में भविष्यवाणियों का मतलब है कि लोग लंबे समय तक और अधिक लगातार हीटवेव झेलने को मजबूर होंगे, सर्दियों की फसलों के लिए गर्म रातें, गर्मियों की फसलों के लिए अनियमित मॉनसून की बारिश, विनाशकारी बाढ़ और तूफान जो पीने के पानी या चिकित्सा ऑक्सीजन उत्पादन के लिए बिजली की आपूर्ति को बाधित कर देंगे.” 

IPCC क्या है?

IPCC यानी इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज, संयुक्त राष्ट्र की एक संस्था है जिसे जलवायु परिवर्तन के विज्ञान का आकलन करने के लिए 1988 में स्थापित किया गया था. IPCC सरकारों को वैश्विक तापमान बढ़ने को लेकर वैज्ञानिक जानकारियां उपलब्ध कराती है ताकि वे उसके हिसाब से अपनी नीतियां बना सकें.

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