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3 years ago .New Delhi, Delhi, India

FD vs RD: एफडी और आरडी को लेकर है उलझन? तो निवेश करने से पहले जान लें कौन है बेहतर

  • निवेश करने के लिए आप एफडी और आरडी में किसी को भी चुन सकते हैं
  • एफडी और आरडी दोनों की अपनी खासियतें हैं.
  • निवेश करने से पहले आपको सारी जानकारी पहले ही ले लेनी चाहिए

Written by:Vishal
Published: November 21, 2021 12:16:32 New Delhi, Delhi, India

FD v/s RD: आज के समय में अधिकतर लोग चाहते हैं कि वह अपनी पूंजी को सही जगह पर निवेश करें ताकि भविष्य के लिए एक अच्छी खासी रकम जुटा सकें. आपको बाजार में निवेश के लिए अनेक विकल्प मिल जाएंगे. हालांकि निवेश करने से पहले आपको उपलब्ध विकल्पों का अध्ययन करना चाहिए और उनकी तुलना भी जरुर करनी चाहिए. इसके बाद आपको जो बेहतर लगे उसमें आप अपने पैसों का निवेश करें.

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हमारे देश में टर्म डिपॉजिट्स बहुत प्रसिद्ध है और अधिकतर लोग आरडी में, एफडी में निवेश करना पसंद करते हैं क्योंकि इसमें बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव का कोई फर्क नहीं पड़ता और एक निश्चित रिटर्न आप को दिया जाता है. फिक्स्ड डिपॉजिट और रिकरिंग डिपॉजिट दोनों ही किसी भी बैंक या फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस से शुरू किए जा सकते हैं. इन खातों को खोलने के समय ही टेन्योर निर्धारित कर सकते हैं.

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FD v/s RD की कुछ खास बातों पर नजर डालते हैं:-

1. निवेश राशि

अगर किसी व्यक्ति के पास एकमुश्त राशि है तो वह एफडी यानी फिक्स्ड डिपाॅजिट में निवेश कर सकता है. वहीं दूसरी तरफ अगर किसी व्यक्ति के पास एकमुश्त राशि का इंतजाम नहीं हो पा रहा है और वह एक निश्चित समय पर एक तय राशि जमा करने में सक्षम है तो उसके लिए आरडी का विकल्प बेहतरीन रहेगा. बता दें कि आरडी सैलरीड लोगों और कम आय वाले लोगों के लिए एक शानदार विकल्प है.

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2. अवधि

एफडी का टेन्योर 7 दिनों से लेकर 10 साल तक का हो सकता है. इसके अलावा इंडिविजुअल अपनी जरूरत के हिसाब से भी एफडी के टेन्योर को चुन सकता है. वही आरडी के मामले में सबसे कम टेन्योर 6 महीने का होता है और अधिकतम 10 साल के लिए आरडी का खाता खुलवा सकते हैं.

3. ब्याज राशि

मेच्योरिटी के समय एफडी पर दिए जाने वाला ब्याज आरडी पर मिलने वाले ब्याज से अधिक होता है.

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4. ब्याज

एफडी पर ब्याज तिमाही या मासिक आधार पर या मैच्योरिटी पर क्रेडिट होता है. वही, आरडी में ब्याज मेच्योरिटी के समय मिलता है.

5. लोन सुविधा

इस मामले में एफडी और आरडी दोनों बराबर हैं. कोई भी व्यक्ति पैसों की आकस्मिक जरूरत आने पर एफडी या आरडी खाते में जमा राशि के 90 फ़ीसदी तक का लोन इसके अगेंस्ट ले सकता है.

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6. डिफॉल्ट क्लाॅज

एफडी इन्वेस्टमेंट मामले में कभी भी कोई शख्स डिफॉल्ट नहीं हो सकता क्योंकि इसमें निवेशक द्वारा शुरू में ही एकमुश्त राशि जमा की जाती है. वहीं दूसरी तरफ अगर कोई व्यक्ति 6 महीनों तक आरडी खाते में किस्तों का भुगतान नहीं करता है तो बैंक के पास ऐसे आरडी खाते को बंद करने का अधिकार होता है.

(नोट: इस लेख में दी गई जानकारी को सिर्फ सूचना के रूप में ही लें, निवेश को लेकर कोई भी फैसला लेने से पहले अपने सलाहकार से अवश्य विमर्श करें.)

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