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Muharram 2022: मुहर्रम क्यों मनाते हैं ? इस दिन क्यों निकाले जाते हैं ताजिए

  • इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार पहले महीने का नाम मुहर्रम है
  • मुहर्रम के माह में ही हजरत इमाम हुसैन ने कर्बला में शहादत दी थी
  • मुहर्रम के मौके पर शिया मुसलमान ताजिया निकालते हुए मातम मनाते हैं

Written by:Ashis
Published: August 08, 2022 01:19:26 New Delhi, Delhi, India

इस्लामिक
कैलेंडर के अनुसार पहले महीने का नाम मुहर्रम है. मुसलमानों के लिए यह महीना महत्वपूर्ण
होने के साथ साथ बहुत ही पवित्र माना जाता है. इस महीने से इस्लाम के नए साल की
शुरूआत मानी जाती है. मोहर्रम माह के 10वें दिन यानी 10 तारीख को रोज-ए-आशुरा कहा
जाता है. इस दिन को इस्लामिक कैलेंडर में बेहद अहम माना गया है, क्योंकि इसी दिन हजरत
इमाम हुसैन की शहादत हुई थी. इस बार मुहर्रम 9 अगस्‍त को
मनाया जाएगा. मुर्हरम का यह महीना इस बार 31 जुलाई से आरंभ हो गया था. इस वर्ष 9
अगस्‍त, मंगलवार को
मुहर्रम का 10वां दिन आशुरा है. तो आइए आपको बताते हैं कि क्‍यों मनाते हैं
मुहर्रम और इस दिन ताजिए निकालने का क्या कारण है.

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इसलिए मनाया जाता है मुहर्रम

आपको बता दें कि इस्लाम धर्म के संस्थापक हजरत
मुहम्मद साहब
के छोटे नवासे हजरत इमाम हुसैन ने कर्बला में अपने 72 साथियों के साथ
शहादत दी थी. वह मुहर्रम का महीना था. इसलिए इस माह को गम के महीने के तौर पर
मनाया जाता है. आपको बता दें कि इमाम हुसैन की शहादत की याद में ही ताजिया और
जुलूस निकाले जाने का रिवाज है. ताजिया निकालने की यह परंपरा सिर्फ शिया मुस्लिमों
में ही देखी जाती है, जबकि सुन्नी मुसलमानों के द्वारा ताजिया नहीं निकाले जाते
हैं.

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मुहर्रम पर ताजिया निकालने की वजह

दरअसल, इराक में इमाम हुसैन का रोजा-ए-मुबारक ( दरगाह ) है, जिसकी हुबहू कॉपी तैयार की जाती है,
उसे ही ताजिया कहा जाता है. मुहर्रम के दिन इस्‍लाम के शिया समुदाय के लोग ताजिए
निकालकर मातम मनाते हैं. ताजिओं के साथ निकलने वाले इस जुलूस में मुस्लिम धर्म के
शिया समुदाय के लोग पूरे रास्‍ते भर मातम करते हैं और साथ में यह भी बोलते हैं, या हुसैन, हम न हुए. जिसका मतलब है कि कर्बला की
जंग में हुसैन हम आपके साथ नहीं थे,
वरना हम भी इस्‍लाम की रक्षा के लिए आपके साथ कुर्बान हो जाते.

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