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2 years ago .New Delhi, Delhi, India

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर ऐसे लिखें निबंध और स्पीच

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Janmashtami 2022) हर साल भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, श्रीकृष्ण का जन्म भादो महीने में इसी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में रात 12 बजे हुआ था.

Written by:Stuti
Published: August 17, 2022 05:16:05 New Delhi, Delhi, India

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Janmashtami 2022) हर साल भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, श्रीकृष्ण का जन्म भादो महीने में इसी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में रात 12 बजे हुआ था. इसी वजह से रात 12 बजे लड्डू गोपाल (laddu gopal) की पूजा करने के बाद जन्माष्टमी के व्रत का पारण किया जाता है. इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत 18 अगस्त को रखा जाएगा और जन्मोत्सव 19 अगस्त को मनाया जाएगा. इस दिन स्कूल में भी बच्चे जन्माष्टमी पर निबंध लिखते हैं.

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परिचय

श्री कृष्ण के जन्म दिवस के रूप में हर वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष को कृष्ण जन्माष्टमी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. यह त्योहार हिंदु धर्म के परंपरा को दर्शाता है व सनातन धर्म का बहुत बड़ा त्योहार है, अतः भारत से दूर अन्य देशों में बसे भारतीय भी इस त्योहार को धूम-धाम से मनाते हैं.

जन्माष्टमी क्यों मनाया जाता है

श्री कृष्ण को सनातन धर्म से संबंधित लोग अपने ईष्ट के रूप में पूजते है. इस वजह से उनके जीवन से जुड़ी अनेकों प्रसिद्ध घटनाओं को याद करते हुए उनके जन्म दिवस के अवसर को उत्सव के रूप में मनाते हैं.

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विश्वभर में कृष्ण जन्माष्टमी की धूम

यह पूरे भारत में मानाया जाता है. इसके अलावा बांग्लादेश के ढांकेश्वर मंदिर, कराची, पाकिस्तान के श्री स्वामी नारायण मंदिर, नेपाल, अमेरिका, इंडोनेशिया, समेत अन्य कई देशों में एस्कॉन मंदिर के माध्यम से विभिन्न तरह से मनाया जाता है. बांग्लादेश में यह राष्ट्रीय उत्सव के रूप में मनाया जाता है, तथा इस दिवस पर राष्ट्रीय छुट्टी दी जाती है.

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कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत

यह भारत के विभिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न तरह से मनाया जाता है. इस उत्सव पर ज्यादातर लोग पूरा दिन व्रत रह कर, पूजा के लिए, घरों में बाल कृष्ण की प्रतिमा पालने में रखते हैं. पूरा दिन भजन कीर्तन करते तथा उस मौसम में उपलब्ध सभी प्रकार के फल और सात्विक व्यंजन से भगवान को भोग लगा कर रात्रि के 12:00 बजे पूजा अर्चना करते हैं.

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