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Chaitra Navratri Ashtami and Navami: अष्टमी और नवमी को अलग-अलग क्यों मनाया जाता है? वजह जानकर रह जाएंगे हैरान

इस साल आश्विन माह का प्रारंभ 30 सितंबर दिन शनिवार से हो रहा है. (फोटो साभार:Freepik)

  • नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है.

  • मां महागौरी मां दुर्गा का आठवां स्वरूप मानी जाती हैं.

  • 29 मार्च के दिन नवरात्रि की अष्टमी की पूजा की जाएगी.


Written by:Gautam Kumar
Published: March 29, 2023 08:08:24 New Delhi

Chaitra Navratri Ashtami and Navami: इस साल चैत नवरात्रि 22 मार्च से शुरू हुई और 30 मार्च को समाप्त होगी. नवरात्रि के 9 दिनों तक मां के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि में दो दिन अष्टमी और नवमी (Chaitra Navratri Ashtami and Navami) को बेहद खास माना जाता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अष्टमी और नवमी अलग-अलग दिन क्यों मनाई जाती है. आइये जानते हैं इसके पीछे का कारण.

नवरात्रि के दोनों दिन अष्टमी और नवमी की पूजा की जाती है, इस पूजा में अष्टमी के अंत और नवमी के प्रारंभ के अंतिम 24 मिनट को संधि काल कहा जाता है. ऐसा माना जाता है कि इसी समय देवी दुर्गा प्रकट हुई थीं और उन्होंने असुर चंद और मुंडा का वध किया था. प्राचीन समय में, संधि पूजा के समय देवी दुर्गा को पशु बलि चढ़ाने की प्रथा अब बंद कर दी गई है और इसके बजाय एक भूरे कद्दू या लौकी को काटा जाता है. कई जगहों पर केला, कद्दू और ककड़ी जैसे कटे फल और सब्जियां बलि के रूप में दी जाती हैं.

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महाअष्टमी क्यों मनाते हैं

नवरात्रि में अष्टमी को सबसे शुभ माना गया है. अष्टमी के दिन मां दुर्गा के स्वरूप यानी गौरी की पूजा की जाती है. जिन्होंने कठिन तपस्या करके यश प्राप्त किया और सारे संसार में महागौरी के नाम से प्रसिद्ध हुईं. इसलिए अष्टमी को महाअष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. महाष्टमी के दिन छोटी कन्याओं का पूजन कर उन्हें भोजन कराया जाता है और उनसे आशीर्वाद लिया जाता है.

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महानवमी क्यों मनाते हैं

महानवमी के दिन मां सिद्धात्री की पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि जो भी भक्त नवमी के दिन पूरी श्रद्धा के साथ देवी के इस रूप की पूजा करता है, उसे सभी सिद्धियों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. तथा उनके सभी कार्य सिद्ध होते हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

 

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