Padmini Ekadashi Katha: मलमास या अधिकमास शुरू हो गया है जो 16 अगस्त 2023 तक रहेगा. मलमास भगवान विष्णु को समर्पित है और इस महीने की एकादशी को विशेष रूप से विशेष माना जाता है. मलमास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पद्मिनी एकादशी कहा जाता है. चूंकि मलमास 3 साल में एक बार आता है, इसलिए पद्मिनी एकादशी भी 3 साल में एक बार आती है. इस वजह से पद्मिनी एकादशी का बहुत महत्व है. ऐसा माना जाता है कि पद्मिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को ढेर सारी समृद्धि, मान-सम्मान और प्रतिष्ठा के साथ-साथ मृत्यु के बाद स्वर्ग की भी प्राप्ति होती है. पद्मिनी एकादशी के व्रत के साथ-साथ इस दिन श्रीहरि की पूजा और कथा पढ़ने का भी बहुत महत्व है. आइए जानते हैं पद्मिनी एकादशी कब है और इस दिन क्या करना चाहिए.

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पद्मिनी एकादशी कब है? (Padmini Ekadashi katha)

अधिकमास की एकादशी तिथि 28 जुलाई को दोपहर 02:51 बजे शुरू होगी और 29 जुलाई को दोपहर 01:05 बजे समाप्त होगी. पद्मिनी एकादशी व्रत उदयातिथि के अनुसार 29 जुलाई 2023 दिन शनिवार को रखा जाएगा. पद्मिनी एकादशी के दिन ब्रह्मा और इंद्र योग बन रहा है. इस योग में पूजा करने से बहुत लाभ मिलता है. पद्मिनी एकादशी व्रत का समय 30 जुलाई को सुबह 05:41 बजे से सुबह 08:24 बजे तक है. पद्मिनी एकादशी के दिन व्रत और पूजा के अलावा कथा भी जरूर पढ़नी चाहिए.

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पद्मिनी एकादशी व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, महिष्मती पुरी में कृतवीर्य नाम का एक राजा रहा करता था, उसकी 1000 पत्नियां थीं, लेकिन उसके घर पुत्र का जन्म नहीं हुआ था. राजा को सदैव पुत्र की कमी रहती थी इसलिए वह यज्ञ अनुष्ठान सहित अनेक उपाय करता रहता था. जब उनकी इच्छा पूरी नहीं हुई तो राजा ने जंगल में जाकर तपस्या करने का निर्णय लिया.

जब राजा जंगल जा रहा था तो उनकी एक रानी पद्मिनी ने भी जंगल जाने का फैसला किया और राजा और रानी महल छोड़कर जंगल की ओर चले गए. राजा ने कई वर्षों तक तपस्या की, फिर भी पुत्र का जन्म नहीं हुआ. एक दिन अनुसूया ने रानी पद्मिनी से कहा कि तुम मलमास की एकादशी का व्रत करो और जागरण करो, शीघ्र ही तुम्हारी मनोकामना पूरी होगी. तब रानी पद्मिनी ने एकादशी का व्रत किया और तब उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई. रानी ने कार्तवीर्य नामक पुत्र को जन्म दिया, जो अत्यंत बलशाली और पराक्रमी था. उन्होंने अपने पराक्रम से तीनों लोकों में परचम लहराया. तभी से यह मान्यता है कि संतान सुख की प्राप्ति के लिए पद्मिनी एकादशी का व्रत रखना चाहिए.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)