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4 years ago .New Delhi, Delhi, India

विकास दुबे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जांच आयोग के गठन को दी मंजूरी, पूर्व जज बीएस चौहान करेंगे अध्यक्षता

  • पूर्व जज बीएस चौहान की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच आयोग के गठन को मंजूरी. 
  • पूर्व जज शशि कांत अग्रवाल और पूर्व IPS केएल गुप्ता आयोग में शामिल. 
  • जांच आयोगअपनी रिपोर्ट शीर्ष अदालत के साथ राज्य सरकार को भी सौंपेगा.

Written by:Akashdeep
Published: July 22, 2020 11:21:01 New Delhi, Delhi, India

उच्चतम न्यायालय ने कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या और इसके बाद मुठभेड़ में विकास दुबे और उसके पांच सहयोगियों की मौत की घटनाओं की जांच के लिये शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश डॉ. बलबीर सिंह चौहान की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच आयोग के गठन के मसौदे को बुधवार को अपनी मंजूरी दे दी.

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पेश अधिसूचना के मसौदे को मंजूरी देते हुए कहा कि इसे अधिसूचित कर दिया जाए.

जांच आयोग में ये दो सदस्य भी शामिल 

राज्य सरकार द्वारा गठित जांच आयोग के अन्य सदस्यों में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश शशि कांत अग्रवाल और उप्र के सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक के एल गुप्ता शामिल हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने दिए ये निर्देश 

-इस मामले की वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान पीठ ने केन्द्र को जांच आयोग को सचिवालय सहायता उपलब्ध कराने का निर्देश दिया और कहा कि यह सहयोग राष्ट्रीय जांच एजेन्सी या किसी अन्य केन्द्रीय एजेन्सी द्वारा उपलब्ध कराया जाना चाहिए.

-पीठ ने कहा कि यह जांच आयोग कानून के तहत अपनी रिपोर्ट शीर्ष अदालत के साथ ही राज्य सरकार को भी सौंपेगा.पीठ ने कहा कि वह कार्य शर्तों के साथ आयोग के हाथ बांधने के पक्ष में नहीं है. पीठ का कहना था कि जांच आयोग की जांच का दायरा पर्याप्त व्यापक होना चाहिए.

-न्यायालय ने कहा कि जांच आयोग को आठ पुलिसकर्मियों की हत्या और इसके बाद विकास दुबे तथा उसके कथित सहयोगियों की मुठभेड़ में मौत की घटनाओं की जांच करनी होगी.

इससे पहले, उप्र सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को सूचित किया कि न्यायमूर्ति चौहान ने जांच आयोग का हिस्सा बनने के लिये अपनी सहमति दे दी है. उन्होंने कहा कि जांच आयोग उन परिस्थितियों की भी जांच करेगा जिनमें विकास दुबे, जिसके खिलाफ 65 प्राथमिकी दर्ज थीं, जमानत पर रिहा हुआ.

इन याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था सुप्रीम कोर्ट 

शीर्ष अदालत विकास दुबे और उसके पांच कथित सहयोगियों की पुलिस मुठभेड़ में मौत की घटनाओं की न्यायालय की निगरानी में सीबीआई या एनआईए से जांच कराने के लिये दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.

इनके अलावा कुछ याचिकाओं में कानपुर के बिकरू गांव में तीन जुलाई को आधी रात के बाद विकास दुबे को गिरफ्तार करने गयी पुलिस की टुकड़ी पर घात लगाकर पुलिस पर हुये हमले में पुलिस उपाधीक्षक देवेन्द्र मिश्रा सहित आठ पुलिसकर्मियों के मारे जाने की घटना की जांच कराने का भी अनुरोध किया गया है.

एनकाउंटर में मारा गया था विकास दुबे 

विकास दुबे 10 जुलाई को मुठभेड़ में उस समय मारा गया, जब उज्जैन से उसे लेकर आ रही पुलिस की गाड़ी कानपुर के निकट भौती गांव इलाके में कथित तौर पर दुर्घटनाग्रस्त हो गयी और मौके का फायदा उठाकर दुबे ने भागने का प्रयास किया. दुबे के मारे जाने से पहले अलग-अलग मुठभेड़ों में उसके पांच कथित सहयोगी भी मारे गये थे.

राज्य सरकार के पुलिस महानिदेशक ने हलफनामे में दावा किया था कि गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद दुबे ने जब भौती गांव के निकट भागने के प्रयास में पुलिस पर गोलियां चलायीं तो पुलिस ने आत्मरक्षा में फायरिंग की जिसमें यह अपराधी मारा गया.

हलफनामे में यह भी कहा गया था कि इस खतरनाक अपराधी द्वारा किये गये अपराधों तथा दुबे, पुलिस और नेताओं के बीच कथित साठगांठ की जांच के लिये 11 जुलाई को प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय विशेष जांच दल भी गठित किया गया है.

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