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4 years ago .New Delhi, Delhi, India

भारतीय स्वतंत्रता दिवस से जुड़े कुछ अनसुने किस्से

  • स्वतंत्रता सांप्रदायिक तर्ज पर उपमहाद्वीप के विभाजन के साथ आई.
  • 14/15 अगस्त, 1947 की मध्य रात्रि को, पंडित नेहरू ने प्रसिद्ध 'ट्राइस्ट विद डेस्टिनी' भाषण दिया.
  • द्वितीय विश्व युद्ध में जापानी आत्मसमर्पण की दूसरी वर्षगांठ पर भारत को स्वतंत्रता मिली. 

Written by:Akashdeep
Published: August 15, 2020 01:27:52 New Delhi, Delhi, India

लाखों भारतीयों को 15 अगस्त 1947 को उनके लंबे तप और संघर्ष का फल मिला, जब अंग्रेज दो शताब्दियों तक शासन करने के बाद भारत की सत्ता त्यागने पर मजबूर होकर अपने देश लौट गए. 

उस समय देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 14/15 अगस्त 1947 की आधी रात को अपने प्रतिष्ठित ‘ट्रिस्ट विद डेस्टिनी’ भाषण से देश में नई उर्जा का संचार किया. 

नेहरू ने संविधान सभा के सामने कहा था- ‘बहुत साल पहले हमने नियति को मिलने का एक वचन दिया था और अब समय आ गया है कि हम अपने वचन को निभाएं, पूरी तरह ना सही, लेकिन बहुत हद्द तक. आज रात बारह बजे, जब सारी दुनिया सो रही होगी, भारत जीवन और स्वतंत्रता की नई सुबह के साथ उठेगा.’

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आज भारत अपना 74वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है, आइए ऐसे में इस दिन के बारे में कुछ कम ज्ञात तथ्यों के बारे में जानते हैं- 

1. सत्ता हस्तांतरण की असल निर्धारित तारीख 

फरवरी 1947 में हाउस ऑफ कॉमन्स के अपने संबोधन में ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने भारतीय नेताओं को सत्ता हस्तांतरण की समय सीमा 30 जून, 1948 को निर्धारित की थी. लेकिन चार महीने बाद, भारतीय वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने 15 अगस्त, 1947 को सत्ता हस्तांतरण के तारीख के रूप में घोषित किया.

2. 15 अगस्त क्यों?

भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 4 जुलाई, 1947 को ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स में पेश किया गया था और ये दो सप्ताह के भीतर पारित किया गया था, जिसमें यह निर्णय लिया गया था कि 15 अगस्त को ब्रिटिश शासन समाप्त हो जाएगा.

ये तारीख बिना किसी प्लानिंग के बाद निर्धारित नहीं की गई थी. जैसा कि ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ में लिखा है, माउंटबेटन ने कहा था, “मैंने जिस तारीख को चुना, वह पहले से तय नहीं थी. मैंने इसे एक सवाल के जवाब में चुना था. मैं यह दिखाने के लिए दृढ़ था कि मैं पूरी घटना का मास्टर हूं. जब उन्होंने मुझसे पूछा था कि क्या आपने कोई तारीख चुनी है, मुझे पता था ये जल्द होना है. मुझे लगा कि यह अगस्त या सितंबर के माह में होना चाहिए और फिर मैंने 15 अगस्त को एक निश्चित तारीख के रूप में चुना. क्यों? क्योंकि यह जापान के आत्मसमर्पण की दूसरी वर्षगांठ थी.”

बता दें कि 15 अगस्त, 1945 को जापानी सम्राट हिरोहितो ने अपने रिकॉर्ड किए गए रेडियो संबोधन में मित्र देशों की सेनाओं के समक्ष जापान के आत्मसमर्पण की घोषणा की थी. इस घोषणा को बाद में ‘ज्वेल वॉयस ब्रॉडकास्ट’ के नाम से जाना जाने लगा.

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3. पंजाब और बंगाल में अनिश्चितता

भारतीय उपमहाद्वीप को दो भागों में विभाजित करने के कार्य के साथ 8 जुलाई, 1947 को सिरिल रेडक्लिफ भारत पहुंचे. पंजाब और बंगाल का विभाजन सबसे अधिक विवादास्पद था क्योंकि उनमें से किसी में भी हिंदू या मुसलमान का बहुमत नहीं था.

16 अगस्त, 1947 को माउंटबेटन द्वारा दोनों राज्यों के लिए रेडक्लिफ पुरस्कार की घोषणा की गई. इस प्रकार, स्वतंत्रता के बाद भी दोनों राज्यों के लोगों को यह नहीं पता था कि वो भारत या पाकिस्तान में से किसका हिस्सा होंगे?

4. हैदराबाद, जूनागढ़, कश्मीर

जब भारत आजादी की ओर बढ़ रहा था, 500 से अधिक रियासतें थीं – अर्ध-स्वायत्त राज्य जो कि राजाओं द्वारा शासित थे. उनमें से लगभग सभी जो विभाजन के बाद भारत की सीमा के भीतर थे, भारतीय संघ में शामिल होने के लिए सहमत हुए.

हालांकि, तीन राज्यों ने ऐसा करने से इनकार कर दिया. हैदराबाद एक हिंदू-बहुल राज्य था, जिसके शासक निजाम मीर उस्मान अली थे और उन्होंने खुद को स्वतंत्रत घोषित कर दिया था. 13 सितंबर, 1948 को भारत सरकार ने ‘ऑपरेशन पोलो’ शुरू किया और चार दिनों के भीतर, भारतीय सेना ने राज्य पर नियंत्रण हासिल कर लिया.

जूनागढ़, एक और हिंदू बहुल राज्य था. यहां नवाब मुहम्मद महाबत खानजी तृतीय का शासन था, जिन्होंने पाकिस्तान के साथ अपने विलय की घोषणा की. 20 फरवरी, 1948 को एक जनमत संग्रह हुआ, जिसमें 91% मतदाताओं ने भारत में शामिल होना चुना.

कश्मीर में स्थिति इसके विपरीत थी. ये महाराजा हरि सिंह द्वारा शासित एक मुस्लिम-बहुल राज्य था, जिसने भारत या पाकिस्तान में प्रवेश नहीं करने का निर्णय किया था.

लेकिन अक्टूबर 1947 में पाकिस्तान द्वारा किए गए कबायली आक्रमण के बाद, महाराजा ने भारत से मदद मांगी, जो भारत के साथ ‘इंस्ट्रूमेंट ऑफ अनेक्सेसन’  एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करने के बाद भारतीय सैनिकों की मदद के लिए राजी हुए. उन्होंने 26 अक्टूबर, 1947 को समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके बाद जम्मू और कश्मीर भारतीय संघ का हिस्सा बन गया.

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5. कोई राष्ट्रगान नहीं

‘जन मन गण’, भारत का राष्ट्रगान कवि रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखा गया था और पहली बार 27 दिसंबर 1911 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता सत्र में गाया गया था. हालांकि, भारत के पहले गणतंत्र दिवस के दो दिन पहले 24 जनवरी 1950 को इसे राष्ट्रगान के रूप में अपनाया गया था.

6. भारत इन अन्य देशों के साथ स्वतंत्रता दिवस साझा करता है

भारत अपने स्वतंत्रता दिवस को पांच अन्य देशों के साथ साझा करता है: उत्तर और दक्षिण कोरिया (जापान से स्वतंत्रता मिली), लिकटेंस्टीन (जर्मनी से स्वतंत्रता मिली), कांगो गणराज्य (फ्रांस से स्वतंत्रता मिली) और बहरीन (ब्रिटेन से स्वतंत्रता मिली).

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