Home > Parshuram Jayanti 2022: कौन थे भगवान परशुराम? हो गए थे श्रीराम पर क्रोधित
opoyicentral
आज की ताजा खबर

2 years ago .New Delhi, Delhi, India

Parshuram Jayanti 2022: कौन थे भगवान परशुराम? हो गए थे श्रीराम पर क्रोधित

  • अक्षय तृतीया के दिन परशुराम जयंती मनाई जाती है.
  • भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम को माना जाता है.
  • ब्राह्मण कुल के परशुराम को उनके गुस्से के लिए पहचाना जाता है.

Written by:Sneha
Published: May 02, 2022 06:44:04 New Delhi, Delhi, India

अक्षय तृतीया के दिन ही परशुराम जयंती मनाई जाती है. इस बार ये खास दिन 03 मई दिन मंगलवार को मनाया जाएगा. हर साल इस खास दिन को अक्षय तृतीया के अवसर पर ही मनाया जाता है और भगवान परशुराम के किस्से वेद-पुराणों में आपको आसानी से मिल जाएंगे. प्रसिद्ध धार्मिक ग्रंथ रामायण (Ramayana) में परशुराम के क्रोध का वर्णन है जिसमें वह श्रीराम पर क्रोध करते नजर आए क्योंकि श्रीराम ने परशुराम के अराध्य भगवान शंकर का धनुष तोड़ दिया था.

यह भी पढ़ें: Eid 2022 Wishes in Hindi: अपनों को दें ईद-उल-फितर की मुबारकबाद, भेजें संदेश

कौन थे भगवान परशुराम?

त्रेता युग (रामायण काल) में एक ब्राह्मण ऋषि का जन्म हुआ था जो भगवान विष्णु के 6वें अवतार थे. पौराणिक कथाओं के अनुसार, परशुराम का जन्म महर्षि भृगु के पुत्र महर्षि जमदग्नि के यहां हुआ था. जब पुत्रेष्टि (पुत्र को पाने वाला) यज्ञ में देवराज इंद्र से वरदान के रूप में हुआ था. ऐसा बताया जाता है कि वैशाख शुक्ल तृतीया को मध्य प्रदेश के इंदौर के एक गांव मानपुर के जानापाव पर्वत पर परशुराम जी का जन्म हुआ था. जमदग्नि के पुत्र होने के कारण वे जामदग्न्य और शिवजी द्वारा दिए गए परशु धारण किए जाने के कारण उन्हें परशुराम कहा जाने लगा. 

इनकी शुरुआती पढ़ाई महर्षि विश्मामित्र और ऋचीक के आश्रम में हुई इसके साथ ही उन्हें महर्षि ऋचीक से शार्ङ्ग नाम के दिव्य वैष्णव धनुष और ब्रह्मार्षि कश्यप से विधिवत वैष्णव मंत्र प्राप्त थे. परशुराम ने शस्त्रविद्या में महानता हासिल की थी और उन्होंने भीष्म, द्रोण और कर्ण को शस्त्रविद्या प्रदान की थी. परशुराम दिल के बहुत अच्छे माने जाते थे लेकिन जब उन्हें गुस्सा आता था तब उन्हें शांत करने का काम कोई नहीं कर सकता था. ऐसा माना जाता है कि वह भगवान विष्णु के अवतार थे इसलिए शांत रहते थे लेकिन अगर कोई बात उन्हें पसंद नहीं आए तो उन्हें भगवान शिव की तरह गुस्सा आता था क्योंकि वह शिवजी के परमभक्त भी थे.

यह भी पढ़ें: Chanakya Niti:इन 5 चीजों को कभी ना लगाएं पैर, वरना दुर्भाग्य पड़ेगा पीछे!

रामायण के अनुसार, जब श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण और गुरू के साथ जनकपुरी सीता स्वयंवर में गए थे तब वहां आए सभी राजाओं को शिवधनुष तोड़ना था. वह धनुष परशुराम जी ने भगवान शिव से वरदान में पाया था जिसे किसी को भी उठा पाना तो दूर छू पाना भी नामुमकिन था. मगर स्वयंवर में विष्णु अवतारित श्रीराम ने एक हाथ से धनुष उठा लिया और तोड़ दिया.

इस बात का पता जब परशुराम जी चला तो वह सभा में आए और उन्होंने राजा जनक, सभा में बैठे सभी ऋषि-मुनि और राजा पर क्रोध किया. उन्होंने शिवधनुष तोड़ने वाले श्रीराम को भी खूब बुरा-भला कहा और उन्हें भष्म करने की बात कह दी थी. मगर जब परशुराम जी को महसूस हुआ कि वह विष्णु अवतार श्रीराम को बोल रहे हैं तब वह शांत हुए और उनसे माफी मांगते हुए आशीर्वाद देकर चले गए.

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सभी जानकारी सामान्य रिसर्च पर आधारित है. हिंदू धर्म की धार्मिक ग्रंथों में इनका जिक्र है. इसमें दी गई किसी बात की पुष्टि ओपोई नहीं करता है.

यह भी पढ़ें: Chanakya Niti: किसी व्यक्ति को परखें तो इन बातों को कभी ना भूलें, जानें

Related Articles

ADVERTISEMENT

© Copyright 2023 Opoyi Private Limited. All rights reserved