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2 years ago .New Delhi, Delhi, India

इस एक व्रत से दूर होंगी सारी बीमारियां, जानें कब और कैसे रखना है

  • काल भैरव भगवान शिव के पांचवे अवतार माने जाते हैं.
  • ये व्रत करने से जीवन से दुख, परेशानी और दरिद्रता दूर हो जाती है.
  • ये व्रत भगवान शिव के रुद्रवतार काल भैरव को समर्पित होता है.

Written by:Kaushik
Published: April 22, 2022 10:09:12 New Delhi, Delhi, India

हर मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान शिव के रूद्र रूप में काल भैरव की पूजा कालाष्टमी का व्रत करके की जाती है. ये व्रत भगवान शिव के रुद्रवतार काल भैरव को समर्पित होता है. वैशाख माह में कालाष्टमी व्रत 23 अप्रैल, शनिवार के दिन पड़ रहा है. कालाष्टमी के दिन भगवान भैरव की पूजा करते हैं, जो काल भैरव, बाबा भैरवनाथ, महाकाल आदि नामों से जाने जाते हैं.

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काल भैरव भगवान शिव के पांचवे अवतार माने जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि कालाष्टमी के दिन व्रत और विधि-विधान से पूजा करने से जीवन से दुख, परेशानी और दरिद्रता दूर हो जाती है.

बीमारी, अकाल मृत्‍यु से मिलती है मुक्ति

धार्मिक मान्यता के अनुसार, काल भैरव की पूजा करने से भक्‍त अज्ञात डर, बीमारियों, अकाल मृत्‍यु के डर से छुटकारा मिलता है. इसी कारण यह व्रत रखकर शुभ मुहूर्त में पूजा जरूर करनी चाहिए.

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कालाष्टमी पूजन मुहूर्त 2022

इस बार कालाष्टमी व्रत के दिन त्रिपुष्कर योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है. ऐसे शुभ योग में पूजा करने से मिलने वाला फल बढ़ जाता है. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग 23 अप्रैल को शाम 06:54 बजे से 24 अप्रैल की सुबह 05:47 बजे तक रहेगा. वहीं, त्रिपुष्कर योग सुबह 05 बजकर 48 मिनट से प्रारंभ होकर अगसे दिन प्रात: 06 बजकर 27 मिनट तक रहेगा. ऐसे में भक्त लोग सुबह से रात तक कभी भी पूजा कर सकते हैं. इस दिन अभिजित मुहूर्त 11 बजकर 54 मिनट से दोपहर 12 बजकर 46 मिनट तक होगा.

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कालाष्टमी व्रत का महत्व

काल भैरव को भगवान शिव का रौद्र रूप माना जाता है और वह तंत्र मंत्र का देवता भी हैं. भैरव बाबा सभी पापियों को दंडित भी करते हैं.इसलिए उनको दंडापानी भी कहा जाता है. भगवान भैरव नाथ की सवारी श्वान अर्थात कुत्ता है इसलिए इस दिन कुत्ते को दूध पिलाना बहुत पुण्यदायी माना जाता है.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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