Home > Navratri 2022: महालया कब है? जानें इसका असल महत्व और इतिहास
opoyicentral
आज की ताजा खबर

2 years ago .New Delhi, Delhi, India

Navratri 2022: महालया कब है? जानें इसका असल महत्व और इतिहास

  • नवरात्रि से पहले महालया का पर्व मनाया जाता है
  • महालया को लेकर कई महत्वपूर्ण मान्यताएं हैं
  • महालया का मां दुर्गा के आगमन के लिए मनायी जाती है

Written by:Hema
Published: September 21, 2022 11:10:14 New Delhi, Delhi, India

महालया (Mahayala) बंगाल का प्रमुख त्यौहार है, लेकिन देशभर में इस त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. इस साल 25 सितंबर 2022 दिन रविवार को यह पर्व मनाया जायेगा. महालया पर्व के ठीक अगले दिन से नवरात्री (Navratri) आरंभ हो जाते हैं. महालया पितृ पक्ष (Pitru Paksh) का अंतिम दिन होता है, इस दिन भूले-बिसरे पितरों की शांति के लिए तर्पण किया जाता है. महालया पर्व को महालया सर्वपितु अमावस्या भी कहते हैं इस दिन सुबह के समय सभी पितरों को विदा किया जाता है और शाम को दुर्गा माता का इस लोक में स्वागत किया जाता है.

यह भी पढ़ेंः नवरात्रि में प्याज-लहसुन क्यों नहीं खाते? वजह जान आप भी खाना छोड़ देंगे

क्या है महालया पर्व

महालया पर्व बंगाल का मुख्य पर्व है. लोगों के बीच इस पर्व को लेकर बड़ा उत्साह होता है. जिस तरह बंगालियों के लिए दुर्गा पूजा का महत्व होता है उसी प्रकार महालया पर्व का भी बड़ा महत्व होता है., इस पर्व का बंगाल में बड़ी बेसब्री से इंतजार किया जाता है क्योंकि मान्यता है कि इस दिन पुत्री के रूप में मां भवानी को बंगाल की धरती पर बुलाया जाता है. इस दिन देवी दुर्गा की मूर्ति पर रंग चढ़ाया जाता है और उनकी आंखे बनाई जाती हैं साथ ही मूर्ति को सजाया जाता है और साथ में पंडाल को भी सजाया जाता है. इस दिन मूर्तिकार मां दुर्गा की मूर्ति को अंतिम रूप देकर देवी दुर्गा की मूर्ति को पूरा करते हैं. जिस तरह 15 दिन तक पितृ पक्ष होता है उसी प्रकार देवी पक्ष भी 15 दिनों तक होता है, शरद पूर्णिमा के दिन देवी पक्ष की समाप्ति होती है.

यह भी पढ़ें: महालया अमावस्या कब है? जानें तिथि और इस दिन का महत्व

महालया पर्व का क्या महत्व है

महालया बंगालियों का प्रमुख त्यौहार माना जाता है, लेकिन देशभर में इसकी धूम देखते ही बनती है. कहा जाता है कि महिषासुर नामक राक्षस का अंत करने के लिए महालया के दिन ही देवी-देवताओं ने मां दुर्गा का आह्वान किया था. महालया की सुबह ही 15 दिनों तक धरती लोक पर आए पितर अपने लोक को प्रस्थान करते हैं और शाम को मां दुर्गा धरती पर पधारती हैं. इसके बाद नौ दिनों तक मां दुर्गा धरती पर रहकर अपने भक्तों पर अपनी दयादृष्टि बनाए रखती हैं. नौ दिनों के बाद 10वें दिन दुर्गा पूजा का दिन आता है. माना जाता है कि इसी दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर देवताओं को उसके चंगुल से आजाद करवाया था.

यह भी पढ़ें: Navratri 2022: क्यों जलाई जाती है नवरात्रि में अखंड ज्योति? जानें महत्व

महालया का इतिहास

मान्यता के मुताबिक, ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने महिषासुर के संहार के लिए मां दुर्गा का सृजन किया था. महिषासुर को वरदान था कि वह देवता या मनुष्य उसका वध नहीं कर सकेगा. ऐसे में वह राक्षसों का राजा बन गया और देवताओं पर ही आक्रमण करने लगा. देवताओं की पराजय होने से महिषासुर का देवलोक पर आधिपत्य हो गया. ऐसे में महिषासुर से रक्षा करने के लिए सभी देवताओं ने भगवान विष्णु के साथ आदि शक्ति की आराधना की. इस दौरान सभी देवताओं के शरीर से एक दिव्य रोशनी निकली जिसने देवी दुर्गा का रूप धारण कर लिया. वहीं, महिषासुर के संहार के लिए मां दुर्गा की 10 दिन युद्ध चली और उसका वध किया. ऐसा कहा जाता है कि महालया मा दुर्गा के धरती पर आगमन का दिन था.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

Related Articles

ADVERTISEMENT

© Copyright 2023 Opoyi Private Limited. All rights reserved