रोहिंग्या (Rohingya people) मुस्लिमों का एक समुदाय है. सदियों से ये लोग म्यांमार (Myanmar) में रहते आए हैं. म्यांमार के उत्तर-पश्चिम छोर पर बांग्लादेश की सीमा से सटा हुआ एक प्रांत है रखाइन (Rakhine). रोहिंग्या मुसलमान दावा करते हैं कि वे एक मुस्लिम कारोबारी के वंशज हैं और 9वीं सदी से रखाइन में रह रहे हैं.

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म्यांमार के इस प्रांत रखाइन में रोहिंग्या भले ही पीढ़ियों से रहते आए हैं, लेकिन म्यांमार की सरकार ने उन्हें अपने देश की नागरिकता नहीं दी. म्यांमार रोहिंग्या मुसलमानों (Rohingya Muslims) को बांग्लादेशी प्रवासी मानता है. म्यांमार कहता है कि ये बांग्लादेशी किसान हैं, जो अंग्रेजों के राज में यहां आकर बस गए थे. वहीं बांग्लादेश की सरकार भी इन्हें अपनाने से इनकार करती है. बांग्लादेश (Bangladesh) का कहना है कि रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार के ही हैं.

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रोहिंग्या मुसलमान पीढ़ियों से म्यांमार में रह रहे हैं साल 1948 में म्यांमार को अंग्रेजों से आजादी मिली तब रोहिंग्या लोगों ने पहचान पत्र के लिए अप्लाई किया और उन्हें नागरिकों के कुछ अधिकार भी दिए गए. उनके हालात तब बिगड़ने लगे जब साल 1962 में यहां सैन्य तख्तापलट हो गया और रोहिंग्याओं से उनके नागरिकता के अधिकार छीन लिए गए.

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साल 1982 में म्यांमार सरकार का एक नया कानून आने के बाद रोहिंग्याओं का नागरिक का दर्जा खत्म हो गया. उनसे अपनी नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेज मांगे गए लेकिन ज्यादातर रोहिंग्याओं के पास कोई कागजात नहीं थे. इस वजह से उन्हें यहां का नागरिक नहीं माना जाता.

क्या है रोहिंग्या नरसंसार?

25 अगस्त 2017 को म्यामांर के उत्तर रखाइन में पुलिस पोस्ट पर हमला कर 12 सुरक्षाकर्मियों को मार दिया गया. इस वारदात का आरोप रोहिंग्या चरमपंथियों पर लगाया गया और इसके बाद यहां की सेना ने रोहिंग्या मुसलमानों को वहां से भगाने के लिए उनके गांव जला दिए और सैंकड़ों रोहिंग्या लोगों को चुन चुन कर मारना शुरू कर दिया. तब म्यांमार सरकार की नेता आंग सान सू की (Aung San Suu Kyi) थी. इस नरसंहार की बात दुनियाभर में आग की तरह फैली और वहां की सरकार की हर तरफ आलोचना हुई.

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रोहिंग्या मुसलमानों का पलायन

लगभग 1970 से ही रोहिंग्या म्यांमार से पलायन कर रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, करीब 11 लाख रोहिंग्या शरणार्थी बांग्लादेश में रहते हैं. यहां पर रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए दुनिया का सबसे बड़ा कैम्प बनाया गया है. करीब 40 हजार रोहिंग्या शरणार्थी भारत में भी रहते हैं. भारत में जम्मू, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा महाराष्ट्र, हैदराबाद और राजस्थान समेत कई हिस्सों में रहते हैं.

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इसके अलावा थाईलैंड में भी लगभग 92 हजार रोहिंग्या शरणार्थी (Rohingya Refugees) रहते हैं. इंडोनेशिया और नेपाल समेत दूसरे पड़ोसी देशों में भी रोहिंग्या शरणार्थी रह रहे हैं. बरसों से रोहिंग्या मुसलमान अपनी पहचान वापस पाने के लिए भटक रहे हैं. इनके बारे में कहा जाता है कि यह एक ऐसा समुदाय है जिसका कोई देश नहीं है.