हिंदू धर्म में कई पर्वों का विशेष महत्व है और मकर संक्रांति उनमें से एक है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो भी दान किया जाता है उसका फल बाकी दिनों के मुकाबले कई गुना ज्यादा हो जाता है. ऐसाी मान्यता है कि मकर संक्रांति के समय ही सूर्य अपने पुत्र से मिलने आते हैं और इसी वजह से मकर संक्रांति से सभी शुभ काम भी शुरू होते हैं. वहीं मकर संक्रांति से ही ऋतु परिवर्तन भी होता है. शरद ऋतु क्षीण होने लगती है और बसंत का आगमन होने लगता है. कुछ लोग मकर संक्रांति की तारीख में कंफ्यूज होते हैं इसलिए हम आपका ये कंफ्यूजन दूर करने वाले हैं.

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मकर संक्रांति 2022 कब है?

हिंदू पंचांग के मुताबिक 14 जनवरी पुण्य काल मुहूर्त 2 बजकर 12 मिनट से शाम 5 बजकर 45 मिनट तक रहेगा. महापुण्य काल मुहूर्त 2 बजकर 12 मिनट से 2 बजकर 36 मिनट होगा. इसी मुहूर्त में आपको जो भी आपकी सामर्थ्य है उसके अनुसार दान करना चाहिए. इस दिन गंगा स्नान, व्रत, कथा, दान और भगवान सूर्यदेव की पूजा करने का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन दान करना फलदायी होता है और शनि देव के लिए प्रकाश का दान करना भी शुभ माना जाता है. मकर संक्रांति पर पंजाब, यूपी, बिहार और तमिलनाडु में नई फसल काटने का समय होता है इसलिए किसान इस दिन को आभार दिवस के रूप में मनाते हैं. इस दिन तिल और गुड़ की मिठाई बनती है और कई जगहों पर लोग पतंग भी उड़ाते हैं.

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क्या होता है मकर संक्रांति का महत्व?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं क्योंकि मकर व कुंभ राशि का स्वामी होता है इस वजह से पिता-पुत्र का मिलन अनोखा हो जाता है. एक दूसरी कथा के अनुसार, भगवान विष्णु की विजय के तौर पर भी मकर संक्रांति मनाते हैं. ऐसा बताया जाता है कि मकर संक्रांति के दिन भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का संहार करके उनके सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर गाड़ा था. तभी से विष्णु जी की इस जीत को लोग मकर संक्रांति के तौर पर मनाते हैं.

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