पाकिस्तान में इमरान खान को आखिरकार प्रधानमंत्री पद गंवाना ही पड़ा. उनके खिलाफ पिछले कई दिनों से सियासी घमासान चल रहा है. पाकिस्तान नेशनल असेंबली में कल (शनिवार को) देर रात इमरान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग हुई, इमरान के खिलाफ 174 वोट डाले गए. इसके बाद पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार किसी प्रधानमंत्री को अविश्वास प्रस्ताव के जरिए कुर्सी से हटा दिया गया है. आपको जानकारी के लिए बता दें की इसके बाद शहबाज शरीफ (Shahbaz Sharif) के नेतृत्व में नई सरकार बनने का रास्ता लगभग तय है. पाकिस्तान कई सप्ताह से राजनीतिक और संवैधानिक उथल-पुथल से गुजर रहा है.

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इमरान के नेतृत्व वाली सरकार अपने खिलाफ आए अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के लिए तैयार नहीं थी. इसकी बजाय स्पीकर ने इस प्रस्ताव को ही खारिज कर दिया. राष्ट्रपति ने सरकार की सिफारिश पर संसद को भंग कर दिया था. विपक्ष इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गया, जहां इमरान खान को झटका देते हुए सर्वोच्च अदालत ने राष्ट्रीय संसद नेशनल असेंबली को बहाल किया और 9 अप्रैल को सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग कराने का आदेश दिया.

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पूरे दिन सियासी उठापटक के बीच पीएम इमरान खान ना तो संसद में आए और ना ही स्पीकर ने प्रस्ताव पर वोटिंग कराई. इसके बाद शनिवार रात स्पीकर असद कैसर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इस दौरान इमरान खान की पार्टी के कुछ ही सदस्य संसद में थे.

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इसके बाद विपक्षी सदस्य अयाज सादिक ने स्पीकर का पद संभाला और अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग कराई. इसके अनुसार, 174 सदस्यों ने प्रस्ताव का समर्थन किया जो बहुमत से दो अधिक है. आपको इसका मतलब बता दें कि अब इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नहीं रहे. अब संसद अपना नया नेता चुनेगी. इस तरह विपक्षी नेता शहबाज शरीफ का प्रधानमंत्री बनना लगभग तय है.

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पाकिस्तान की विपक्षी पार्टियों की तारीफ इसलिए भी की जानी चाहिए कि बीते मार्च से वे अपनी जिस रणनीति पर काम कर रहे थे उसे अंज़ाम पर पहुंचाने में वे कामयाब भी हुए. इसलिये कि उनके पास जरुरी बहुमत से महज़ दो वोट ही ज्यादा थे लेकिन उन्होंने पिछले महीने भर से मीडिया के जरिये ये हौव्वा बना रखा था कि उनके पास 199 सदस्यों का समर्थन है.

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