How to increase health of soil: भारत में प्रत्येक वर्ष अनाज उत्पादन में अधिक मात्रा में कमी देखी जा रही है. खेती की जमीनों की कम हो रही उर्वरकता भी इसके मुख्य कारणों में से एक है. इस विषय को लेकर सरकार भी बहुत चिंतित है. इसी वजह से सरकार किसानों (Farmer) के लिए कई प्रकार के जागरूकता अभियान भी चलाती हैं.

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विशेषज्ञों के अनुसार, खेती (Farming) में ज्यादा रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग और फसल (Crop) विविधिकरण का प्रोसेस नहीं अपनाने के कारण मिट्टी की उत्पादकता पर बहुत प्रभाव पड़ा है. इसी कारण से खेतों में कीटनाशकों और रासायनिक खाद की जगह जैविक खाद के प्रयोग के लिए कहा जाता है. आप जितना जल्दी ये बात समझ लेंगे उतनी जल्दी अपने खेतों की उर्वरकता को दोबारा वापस पा सकेंगे. किसान अपनी फसलों के लिए हरी खाद या प्राकृतिक कीटनाशक और वर्मी कंपोस्ट का प्रयोग करके भी मिट्टी को स्वस्थ रख सकते हैं.

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फसल चक्र पर दें ध्यान

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि किसानों को एक ही प्रकार की लगातार खेती करने से बचना चाहिए. किसानों को फसल चक्र अपनाने की भी सलाह दी जाती है. आप इसके लिए रबी और खरीफ फसलों की खेती करने से इतर बीच-बीच में दलहन की फसलें भी लगाई जा सकती है. दलहनी फसलों में कई पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो मिट्टी का स्वास्थ्य बढ़िया करते नजर आते हैं. इसके अतिरिक्त किसान अन्य नकदी यानी मुनाफे वाली फसलों की भी खेती कर सकते हैं.

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खेत में मिट्टी की उत्पादकता को रासायनिक कीटनाशक पूरी तरह से बर्बाद कर सकते हैं. तो ऐसे में विशेषज्ञ किसानों को खेतों में कीटनाशक पौधे लगाने की सलाह देते हैं. किसान खेतों में एलोवेरा, नीम और कैटनिप जैसी फसलें लगा सकते हैं. इससे खेतों में कीड़े नहीं होंगे और मिट्टी में की शक्ति वापस आएगी. इसके साथ ही फसलों के उत्पादन में बढ़ोतरी होने लगेगी.