भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन
(ISRO) ने रविवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से
लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान विकासात्मक उड़ान-1 (SSLV-D1) का सफलतापूर्वक
प्रक्षेपण किया.

यह रॉकेट 34 मीटर लंबा है और इसका वजन 120 टन है.
इसमें आजादीसैट है जिसे छात्राओं ने बनाया है. रॉकेट को (स्थानीय समयानुसार) सुबह 9.18
बजे लॉन्च किया गया. इसरो के मुताबिक, एसएसएलवी उपग्रहों ईओएस-02 (EOS-02) और आजादीसैट को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित करेगा.

75 स्कूलों की 750 छात्राओं ने बनाई आजादी

इस लॉन्च व्हीकल की कीमत सिर्फ 56 करोड़
रुपए है. आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में देश के 75 स्कूलों
की 750 छात्राओं ने आजादीसैट का निर्माण किया है. इस सैटेलाइट का वजन आठ
किलोग्राम है. इसमें सोलर पैनल,
सेल्फी कैमरे हैं. इसके साथ ही लंबी दूरी के
संचार ट्रांसपोंडर भी लगाए गए हैं. यह सैटेलाइट छह महीने तक सेवाएं देगा.

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एसएसएलवी के लाभ

भारत का नया लॉन्च व्हीकल स्मॉल
सैटेलाइट सस्ता और कम समय में तैयार किया गया है. 34 मीटर ऊंचा एसएसएलवी 2 मीटर
व्यास का है, 2.8 मीटर व्यास वाला पीएसएलवी इससे 10 मीटर ऊंचा
है. एसएसएलवी एक 4 चरण का रॉकेट है, पहले 3 चरण में ठोस ईंधन का उपयोग किया जाएगा. चौथा
चरण में तरल प्रणोदन आधारित वेलोसिटी ट्रिमिंग मॉड्यूल है जो उपग्रहों को उनकी
कक्षा के पथ पर मदद करेगा.

SSLV रॉकेट की आवश्यकता क्यों पड़ी?

एसएसएलवी की जरूरत इसलिए पड़ी
क्योंकि छोटे उपग्रहों को प्रक्षेपण के लिए इंतजार करना पड़ता था. उन्हें बड़े
उपग्रहों के साथ एक स्पेसबस को इकट्ठा करना और भेजना था. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर
बड़ी संख्या में छोटे उपग्रह अंतरिक्ष में भेजे जा रहे हैं . इनकी लॉन्चिंग का
बाजार बढ़ता जा रहा है. इसलिए इसरो ने इस रॉकेट को बनाने का फैसला लिया था .  इसरो के नए लॉन्च व्हीकल यानी स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल
(एसएसएलवी) के लिए नए विकसित सॉलिड बूस्टर स्टेज (SS1) का ग्राउंड टेस्टिंग 14 मार्च 2022
को सतीश धवन स्पेस सेंटर श्रीहरिकोटा में किया गया था.