सुशीला देवी लिकमाबाम (Sushila Devi Likmabam) भारत की जूडो खिलाड़ी हैं. भारत की ओर से जूडो में प्रतिभाग करने वाली ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक 2020 में वह एकमात्र भारतीय महिला जूडो खिलाड़ी रहीं. सुशीला लिकमाबाम का जन्म 1 फ़रवरी, 1995 को हुआ था. सुशीला देवी लिकमाबाम इंफाल के पूर्वी जिले में स्थित हिंगांग मयाई लीकाई की रहने वाली हैं. उन्होंने शुरुआत से ही जूडो में एक चैंपियन बनने के संकेत दिखाए, जिसके बाद उनके चाचा लिकमाबाम दीनित जो खुद एक अंतरराष्ट्रीय जूडो खिलाड़ी रहे हैं.

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सुशीला देवी लिकमाबाम ने 2021 में महिला 48 किलोग्राम के शुरुआती दौर में हंगरी की इवा सेरनोविज्की से 10-0 से हार गईं. सुशीला देवी ने टोक्यो ओलंपिक 2020 में जूडो में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली एकमात्र खिलाड़ी थीं. उनकी हार के साथ भारत की चुनौती जूडो में समाप्त हो गई.

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सुशीला लिकमाबाम ने निप्पॉन बुडोकन क्षेत्र में अपने खेल की शुरुआत में सेरनोविज्की के पहले हमले को नाकाम कर दिया और दोनों ने दूसरे की पकड़ से बचने के लिए शिडो (पेनल्टी) अर्जित किया. लेकिन सेरनोविज्की ने जमीन पर गिराने और झुकाने के लिए अपने अनुभव का प्रयोग किया.

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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ग्लासगो में 2014 राष्ट्रमंडल खेलों (Commonwealth Games) में सिल्वर मेडल विजेता 26 वर्षीय सुशीला देवी ने महाद्वीपीय कोटा स्लॉट के माध्यम से ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया था.

सुशीला जूडो में टोक्यो ओलिंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करने वाली इकलौती खिलाड़ी थीं. सुशीला भारत की दिग्गज बॉक्सर मैरीकॉम को अपना आदर्श मानती हैं.

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सुशीला देवी लिकमबम उपलब्धियां:

ग्लासगो राष्ट्रमंडल खेल 2014 में रजत पदक जीता

एशियन ओपन हांग कांग 2018 में रजत पदक हासिल किया

एशियन ओपन हांग कांग 2019 सिल्वर मेडल अपने नाम किया