भारत में तमाम ऐसे शानदार खिलाड़ी मौजूद हैं, जिन्होंने समय समय पर भारत को कई श्रेणियों में मेडल जिताकर भारत का नाम विश्व में रोशन किया है. उन्हीं में से एक नाम वेटलिफ्टर अचिंता शिउली (Achinta Sheuli) का निकलकर सामने आ रहा है. जिन्होंने तमाम संघर्षों से घिर जाने के बाद भी हार नहीं मानी और अपनी लगन में लगे रहे, अंतत: अपने प्रदर्शन से उन्होंने न सिर्फ कई शानदार मेडल ही जीते, बल्कि सभी का दिल जीत लिया. चलिए
जानते हैं अचिंता शिउली व उनके संघर्षों के बारे में .

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कौन हैं अचिंता शिउली ?

एनबीटी की एक रिपोर्ट की मानें,  हावड़ा के धूलागढ़ के
रहने वाले अचिंता शिउली 10 साल की उम्र से ही अपने भाई आलोक के साथ जिम में
ट्रेनिंग के लिए जाया करते थे और वह वहां पर लगातार हफ्ते के सातों दिन जमकर मेहनत
करते थे. आईएएनएस की रिपोर्ट की मानें तो वह पहले साधारण एक्सरसाइज करते थे, लेकिन
कुछ समय बाद उनका मन वेट लिफ्टिंग की ओर खिंच गया और वह वेट लिफ्टिंग करने लगे.
यहीं से हुई अचिंता शिउली की वेटलिफ्टर बनने की शुरुआत.

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संघर्षों से भरा रहा अचिंता का सफर

अक्सर आपने सुना होगा कि बिना संघर्ष के कुछ भी
प्राप्त नहीं होता. अचिंता ने भी बुरी परिस्थितियों को बहुत पास से देखा, शायद
इन्हीं परिस्थितियों ने उनमें जुनून भरने का काम किया. दरअसल अचिंता के परिवार की
बात करें, तो भरण-पोषण करने के लिए उनके पिता मजदूरी का काम करते थे. 2013 में जब
इनके पिता की मृत्यु हुई, तो घर की स्थितियां बिगड़ने लग गईं. जिसके चलते इनके भाई
आलोक को वेटलिफ्टिंग छोड़नी पड़ी. यहां तक की उनकी मां को घर का व्यवस्थित संचालन
करने के लिए सिलाई और अन्य काम करने के लिए मजबूर होना पड़ा. लेकिन ऐसी प्रतिकूल
परिस्थितियों में भी अचिंता अपने लक्ष्य पर डटे रहे और स्वयं को तराशते रहे.

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कई शानदार मेडल किए अपने नाम

एक शानदार वेटलिफ्टर के रूप में अपनी पहचान
बनाने वाले अचिंता शिउली ने अपने पहले नेशनल इवेंट की शुरूआत 2013 में गुवाहाटी
में की, जहां पर वह चौथे स्थान पर रहे. 2018 खेलो इंडिया यूथ गेम्स के गोल्ड मेडल
विजेता ने जुलाई 2019 में जूनियर और सीनियर दोनों कैटेगरी में कॉमनवेल्थ
वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप, एपिया, समोआ में बड़े मंच पर पदक अपने नाम किए.
यहां तक कि आपको बता दें अचिंता ने पिछले साल ताशकंद में जूनियर विश्व चैंपियनशिप
के पुरुषों के 73 किग्रा कैटेगरी में सिल्वर मेडल जीतने के लिए छह नेशनल
वेटलिफ्टिंग रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया. इसके अलावा ताशकंद में, वह पिछले साल के अंत में राष्ट्रमंडल
चैंपियनशिप में 73 किग्रा चैंपियन बने. वहीं राष्ट्रमंडल खेलों में भी उनसे शानदार
प्रदर्शन की उम्मीद जताई जा रही है.