अक्सर कई बार आपने देखा होगा कि कुछ अपराधी (Criminal) इतने शातिर होते हैं कि वह अपने द्वारा दी गई वारदात के अंजाम से जुड़े एक-एक सुबूत को बड़ी ही होशियारी से मिटा देते हैं. तो ऐसे केस में कई बार सुबूत न मिलने के कारण अपराधी को सजा दिलाना बहुत ही मुश्किल हो जाता है. कई बार मर्डर के केस में लोग पूरी बॉडी को ही तहस नहस कर देते हैं, ताकि उसकी पहचान और सुबूत (Evidence) दोनों मिट जाएं, ऐसे केस में सुबूत इकट्ठा करने के लिए (Evidence Searching Techniques) पुलिस को कुछ खास तकनीकों की मदद लेनी पड़ती है. ऐसे में अगर शव की खोपड़ी बरामद हो जाए, तो फॉरेंसिक फेश‍ियल रीकंस्‍ट्रक्‍शन टेक्नीक (Forensic Facial Reconstruction Technique) की मदद से सुबूत इकट्ठा करने में काफी मदद हो जाती है, तो चलिए जानते हैं इस तकनीक के बारे में. 

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फॉरेंसिक फेश‍ियल रीकंस्‍ट्रक्‍शन टेक्नीक

आजतक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, फेश‍ियल रीकंस्‍ट्रक्‍शन टेक्नीक सबसे सटीक टेक्नीक मानी जाती है.  बता दें कि इसकी मदद से निठारी कांड से लेकर शीना बोहरा जैसे मामलों की गुत्थी सुलझाने में सफलता हासिल की गई है.  ये टेक्नीक एक तरह की साइंट‍िफिक आर्ट है. इसके जरिये अपराधी तक पहुंचना काफी हद तक  आसान हो जाता है. तो आइए जानते हैं कि कहां-कहां काम करती है ये टेक्नीक. कब और कैसे यह टेक्नीक निकलकर सामने आई.

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किसी भी मर्डर केस में खोपड़ी का कंकाल मिलने पर इस टेक्नीक के जरिये थ्री डी में फेस का पुनर्निर्माण किया जाता है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक यह तकनीक  अपराधी तक पहुंचने में काफी हद तक कारगर है. इस तकनीक के सफल प्रयोग के बाद दूसरी फॉरेंसिक जांच के जरिये शत प्रत‍िशत रिजल्ट आ जाते हैं, जिससे अपराधी के ख‍िलाफ सबूत इकट्ठा मरने में काफी आसानी होती है.

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आपको बता दें कि इस टेक्नीक में विज्ञान के साथ साथ कला भी शामिल है.  किसी स्कल से उसकी तस्वीर के जरिये फेश‍ियल बोन, टिश्यू और आर्ट‍िफिश‍ियल स्क‍िन का प्रयोग करके उसे फेस का आकार देना विज्ञान ही नहीं कला का एक व्यापक रूप देखने को मिलता है. विज्ञान और कला के खूबसूर‍त मिश्रण को वैज्ञानिक कला की श्रेणी में रखा जाता है. आज के समय में 3डी फोरेंसिक फेशियल रिकंस्ट्रक्शन विधि काफी विकसित हो चुकी है. इस टेक्नीक को किसी व्यक्ति की पहचान के लिए सबसे सटीक तरीका माना गया है.