वैसे तो ज्ञान की देवी मां सरस्वती के मंदिर भारत में कम ही मिलते हैं. लेकिन एक ऐसा मंदिर है जो सिमडेगा के लोगों के लिए सौभाग्यशाली हैं. यह मंदिर झारखंड (Jharkhand) के सिमडेगा जिला मे स्थित है. यहां के मुख्यालय से 43 किलोमीटर दूर प्राकृतिक वादी में मां शारदा (Maa Sharda) का भव्य मंदिर है. यह मंदिर दो राज्यों की सीमा पर स्थित है. इस मंदिर (Temple)की सीढ़ियां झारखंड में तो गर्भगृह छत्तीसगढ़ में पड़ता है. इस लेख में हम आपको इस मंदिर के बारे में कुछ दिलचस्प बातें बातएंगे.

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मंदिर कहां स्थित है

प्रकृति की गोद में मौजूद इस मंदिर के आसपास गिरमा नदी बहती है, जो इस जगह की खूबसूरती में चार-चांद लगा देते हैं. इसी वजह से यहां श्रद्धालु और पर्यटक खिंचे चले आते हैं. पक्षियों की चहचहाहट हो या गिरमा नदी की जलधारा या मंत्रमुग्ध कर देने वाले नजारे, ये सब कुछ लोगों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं. इस मंदिर में आसपास के गांव के बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दी जाती है, जो अन्य मंदिरों से इसे अलग करता है.

मंदिर वाली जगह का नाम कैसे पड़ा

नवभारत टाइम्स के लेख के अनुसार, अप्रैल 1998 में 15-20 गांवों के लोगों ने संकीर्तन कार्यक्रम का आयोजन किया था, जिसमें संत असीमानंद महाराज भी आए थे. कार्यक्रम के दौरान गांव वालों ने असीमानंद महाराज को जगह का नाम रखने का प्रस्ताव भी दिया था, जिसके बाद उन्होंने यहां का नाम शारदाधाम रखा.

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मंदिर कैसे बना 

वर्ष 1999 में यहां वसंत पंचमी महोत्सव का आयोजन किया गया था. इस महोत्सव में जसपुर के युवराज दिलीप सिंह जूदेव हजारों लोगों के साथ कस्तुरा से शारदाधाम तक 8 किलोमीटर की लंबी पदयात्रा करते हुए यहां पहुंचे थे. इस महोत्सव में रामरेखा बाबा, असीमानंद महाराज और बीरू गढ़ के पटैत साहब भी शामिल हुए थे. महोत्सव के दौरान रामरेखा बाबा और असीमानंद ने नदी के पश्चिमी छोर पर मां शारदे का मंदिर और दक्षिणी छोर पर झारखंड में महादेव के मंदिर की नींव रखी और मंदिर के निर्माण का जिम्मा दिलीप सिंह जूदेव को सौंप दिया.

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आपको जानकारी के लिए बता दें कि मां शारदा के इस मंदिर की सीढ़ियां झारखंड राज्य में स्थित हैं और गर्भगृह छत्तीसगढ़ में आता है. इस मंदिर का मंदिर का निर्माण वर्ष 2012 में शुरू हुआ, जो 5 वर्षों के बाद 2017 में पूर्ण हुआ. दो राज्यों की सीमाओं का ऐसा अद्भुत मिलन इस मंदिर को बहुत खास बनाता है.वहीं नदी के दूसरे तरफ पर स्थित चट्टान के ऊपर महादेव का शिवलिंग स्थापित किया गया है. यहां लोग अपनी आस्था और विश्वास से महादेव को कुल्हाड़ी भेंट स्वरूप चढ़ाते हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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