भारत देश में कई हिल स्टेशन हैं, जहां लोग अलग-अलग शहरों से घूमने आते हैं और ठंडे मौसम को एंजॉए करते हैं. भारत में हिल स्टेशन के विकास की शुरूआत अंग्रेजों ने की थी. अंग्रेजों ने सैनिटेरियन के लिए भारत में हिल स्टेशन शुरू किए थे. मांउट रिजॉर्ट के लिए अंग्रेज हिल स्टेशन का इस्तेमाल करते थे. उत्तराखंड का पहला हिल स्टेशन मसूरी है, जिसे सबसे पहले अंग्रेजों ने ही विकसित किया था. भारत में हिल स्टेशन एक प्रकार के पर्यटन स्थल हैं, जिनका इस्तेमाल अंग्रेज अपने मनोरंजन और गर्मियों में रहने के लिए किया करते थे. तो चलिए जानते हैं नवभारत टाइम्स के मुताबिक पहला हिल स्टेशन.

1823 में बना था भारत का पहला हिल स्टेशन

सन् 1823 में मसूरी का पहला हिल स्टेशन स्थापित हुआ था. मसूरी सुमद्र तल से 6758 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. इसकी लोकप्रियता के कारण यह भारत में ‘पहाड़ियों की रानी’ के रूप में मशहूर है. इसका श्रेय कैप्टन यंग को जाता है और यह एक बेहद खूबसूरत जगह के रूप में स्थापित हुआ. उत्तराखंड में मसूरी, नैनीताल, अल्मोड़ा, भीमताल, धनोल्टी, लैंसडाउन, रानीखेत जैसे 40 से ज्यादा हिल स्टेशन हैं.

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मसूरी का इतिहास

मसूरी 1803 में गोरखाओं के नेता उमर सिंह थापा के नेतृत्व में था. गोरखा कुमाऊं, गढ़वाल और सिक्किम में अपने राज्य का विस्तार करना चाहते थे. इसलिए नवंबर 2014 में गोरखाओं और अंग्रेजों के बीच युद्ध छिड़ा. अंग्रेजों ने युद्ध जीत लिया और इसे सहारनपुर में मिला दिया.

मसूरी का पहला घर

पहला घर मसूरी में मिस्टर शोर और कैप्टन यंग की एक छोटी सी झोपड़ी थी. बाद में कैप्टन यंग ने मूसरी में मुलिंगर नाम से अपना बड़ा घर बनाया. धीरे-धीरे कई अन्य यूरोपीय मसूरी प्राकृतिक सुंदरता से आकर्षित हुए. इसके अलावा, कहा जाता है कि अंग्रेजों ने सेब का पेड़ भी सबसे पहले मसूरी में ही लगाया था.

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मसूरी के पर्यटन स्थल

मसूरी में लाल टिब्बा, मीस्टो वॉटरफॉल, कैम्प्टी फॉल्स, गन हिल, लाखा मंडल, हैप्पी वॉल, मोसी फॉल, धनोल्टी मशहूर पर्यटन स्थल हैं. इसके अलावा, भारत की हनीमून राजधानी भी मसूरी को ही कहा जाता है.

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