रामसेतु के निर्माण को लेकर हमेशा से ही लोगों की अलग-अलग मान्यताएं रही हैं. कुछ मानते हैं कि इसे वानर सेना ने तैयार किया था. तो वहीं कुछ कहते हैं, इसे कोलकाता के एक व्यापारी द्वारा बनवाया गया था. वहीं कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि ये चुना पत्थर से बना एक प्राकृतिक पुल है. भारत के तमिलनाडु में मौजूद ये ब्रिज आज भी एक धार्मिक महत्व रखता है. यहां का नजारा बेहद खूबसूरत है और लोग इसे देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं. तो चलिए जानते हैं रामसेतु पुल से जुड़ी खास बातें.

आसानी से चल सकते हैं लोग

ऐसा कहते हैं कि राम सेतु समुद्र तल से ऊपर था. कुछ ऐतिहासिक रिकॉर्ड बताते हैं कि 15 वीं शताब्दी तक इस ब्रिज पर उस दौरान लोग चलकर पार किया करते थे. ये जमीन से करीबन 3 से 30 फुट तक गहरा है. 1480 में आए एक तूफान की वजह से ये ब्रिज कुछ टूट चुका था.

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ब्रिज के कई नाम हैं

तमिलनाडु के रामेश्वरम में मौजूद राम सेतु का नाम तो आप सभी जानते हैं, लेकिन क्या आपको ये बात पता है कि इसके कई अन्य नाम भी है. ब्रिज को एडम ब्रिज, नल सेतु और सेतु बंध के नाम से भी जाना जाता है. इसे नल सेतु भी कहा जाता है, क्योंकि इसे नल द्वारा डिजाइन किया गया था. एडम ब्रिज नाम प्राचीन इस्लामिक ग्रंथों द्वारा दिया गया है.

जहाज नहीं जा सकते

साल 1480 में समुद्र एक बड़े चक्रवात आने के बाद पुल पानी के अदंर डूब गया था. वैसे, आज राम सेतु पानी के अंदर है, लेकिन फिर भी यहां जहाजों को आने-जाने की अनुमति नहीं है. कुछ पॉइंट और गहराई के स्तर के साथ पानी काफी उथला हुआ है और ये पुल पूरी तरह से डूबा हुआ भी नहीं है.

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कितना पुराना है रामसेतु

राम सेतु कितना पुराना है, इसे लेकर कई अलग-अलग मान्यताएं जुड़ी हुई हैं. कई पौराणिक कथाओं के अनुसार ये पुल करीबन 3 हजार साल पुराना है. कई लोगों का मानना है कि यह 7 हजार साल पुराना है.

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