दुनिया में नाम बनाने के लिए इंसान को क्या कुछ
नहीं करना पड़ता है. कभी कभी तो पूरी उम्र लग जाती है नाम बनाने में तब जाकर वो एक
पॉपुलर नाम बन पाता है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे
हैं, जहां बचपन में ही किसी फेमस हस्ती, मिठाई, चीज के नाम पर लोग शौकिया तौर पर
अपने बच्चों का नामकरण कर देते हैं. यहां पर कई बच्चों के नाम कई नामचीन हस्तियों
के नाम पर हैं, तो कई नामचीन मिठाइयों और कई पॉपुलर चीजों के नाम पर .

जैसे शाहरूख
खान, अमिताभ बच्चन, सोनिया गांधी, जापान, अमेरिका, हाईकोर्ट यह सारे नाम जो आप देख
रहे हैं, ये नाम कितने पॉपुलर हैं यह बताने की जरूरत नहीं है. लेकिन यह सब उस गांव
के बच्चों के नाम हैं और वो भी ये नाम स्वयं उनके माता पिता ने उन्हें दिए हैं. तो
चलिए आपको बताते हैं इस गांव के बच्चों का इन नामचीन चीजों के नाम पर नाम पड़ने के
पीछे पूरी सच्चाई क्या है.

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बैंगलुरू के पास भाद्रपुर में निवास करने वाली
इस जनजाति की पहचान हक्की पक्की समुदाय के रुप में की जाती है. दरअसल करीब एक दशक
पहले इस समुदाय के द्वारा एक खास नामकरण अनुष्ठान कि शुरुआत की गयी. यह रिवाज भी
उनके अजीबों गरीब रिवाजों में से एक माना जाता है. रिपोर्ट्स की मानें तो करीब चार दशक पहले तक यह जनजाति जंगलों में निवास करती थी, लेकिन साल 1970 के दौरान वन
विभाग द्वारा लागू किए गए कड़े कानून के बाद से सरकार ने उन्हें भाद्रपुर भेज
दिया.

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यह अजीबो गरीब रिवाजों वाला गांव दक्षिण भारत के
बैंगलुरु के पास पड़ता है. इस गांव में अनिल कपूर, एलिजाबेथ, हाईकोर्ट,
सुप्रीमकोर्ट, कॉफी, अंग्रेजी जैसे कई नामचीन नामों वाले बच्चे रहते हैं. वहीं
इनमें एक गूगल भी है. वहीं जापान के भतीजे का नाम हाईकोर्ट है. वहीं मैसूर पाक की
भाभी का नाम बैंगलोर पाक है. एक और बात सुप्रीम कोर्ट, अमेरिका और वन बाय टू
बिल्कुल क्लोस फ्रेंड हैं. सोचिए कितना जबरदस्त लगता होगा जब यहां पर कोई कमेंट्री
होती होगी.

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आपको बता दें कि यहां हर नाम के साथ एक इतिहास
जुड़ा हुआ है. माना जाता है कि पहले ये लोग अपने बच्चों का नाम नदी या पहाड़ के
नाम पर रखते थे, लेकिन
राजनीतिक उथल पुथल और शासन में बदलाव के बाद ये लोग दक्षिण भारत के अलग-अलग
क्षेत्रों में फैल गए. जिसके बाद इनका जिस पॉपुलर चीज से लगाव बना. अपने बच्चों का
नाम वही रख दिया.

जैसे किसी को शाहरूख खान पसंद है तो उसने अपने बच्चे का
नाम शाहरुख रख दिया. वहीं इसी के साथ आपको बता दें कि यहां के लोगों को 14 भाषाओं
का ज्ञान होता है. अगर कभी भी आप का उस तरफ जाने का विचार बनें तो इस जगह घूमने
जरूर जाएं.