World No Tobacco Day: तम्बाकू (Tobacco) का सेवन करना हर रुप में जानलेवा है, दुनिया भर में सिगरेट (Cigarette) का सेवन तो काफी
आम बात हो चुका है. हुक्का, सिगार, बीड़ी, धुएंरहित
तम्बाकू के उत्पाद जैसे खैनी, गुटका, सुपारी, क्विड और ज़र्दा आदि रूपों में
तम्बाकू का सेवन भारी मात्रा में किया जाता है. धूम्रपान कैंसर (Cancer) तथा फेफड़ों की
बीमारियों जैसे क्रोनिक आब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी रोगों (Chronic obstructive pulmonary disease), दिल की बीमारियों, स्ट्रोक, डायबिटीज, महिलाओं
में बांझपन, जन्म
के समय कम वज़न और इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का भी कारण है.

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कैंसर
का जोखिम

तम्बाकू का सेवन करने से शरीर के हर अंग पर असर
पड़ता है. इसके कारण शरीर में कई बीमारियां (Diseases) जन्म ले लेती हैं. यह दिल से संबंधित
बीमारियों का मुख्य कारण बनता है. आपको बता दें, धूम्रपान का असर पूरे कार्डियोवैस्कुलर
सिस्टम पर पड़ता है. जिसमें दिल,
खून, रक्त
वाहिकाएं आदि शामिल हैं. 2017 में भारतीय वयस्कों पर किए गए विश्व स्तरीय
सर्वेक्षण के अनुसार भारत में तकरीबन 267 मिलियन वयस्क तम्बाकू का सेवन करते हैं.
देश की 28.6 फीसदी आबादी यानी हर 5 में 1 व्यक्ति धुएं रहित तम्बाकू का सेवन कर
रहा है, वहीं हर 10 में
से 1 व्यक्ति धूम्रपान करता है,
तम्बाकू का सेवन करने वाले 50 फीसदी लोगों की मौत का कारण तम्बाकू का
सेवन ही है.

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हाई
ब्लड प्रेशर के आसार

सिगरेट में निकोटिन पाया जाता है. जिसके कारण इसका
सेवन करने से हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है. निकोटीन
एक हानिकारक रसायन है, इसकी
वजह से ब्लड प्रेशर बढ़ने के साथ-साथ कई अन्य बीमारियां भी होने का खतरा बना रहता
है. धूम्रपान की वजह से रक्त, ब्लैडर, सर्विक्स, फेफड़ों, लिवर, गुर्दे, ग्रसनी, पैनक्रियाज़, मुंह, गले, लेरिंक्स, किडनी, कोलन, रेक्टम, पेट
का कैंसर होने के भी आसार होते हैं. फेफड़ों में होने वाले 10 प्रकार के कैंसर में
से 9 प्रकार के कैंसरों का कारण धूम्रपान ही है. धुएं रहित तम्बाकू जैसे तम्बाकू
चबाने से ग्रसनी, मुंह
और गले का कैंसर हो सकता है. भारत में मुंह के कैंसर के 90 फीसदी मामले धुएं रहित
तम्बाकू की वजह से ही सामने आते हैं. वहीं कैंसर की जांच की बात की जाए तो डोज़
कम्प्यूटेड टोमोग्राफी के द्वारा छाती, सरवाईकल एवं कोलोरेक्टल कैंसर का निदान शुरूआती अवस्थाओं में किया जा
सकता है.

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दिल
से संबंधित रोगों का खतरा

धूम्रपान के चलते दिल की बीमारियों का खतरा
बहुत अधिक बढ़ जाता है. और उसी के कारण होने वाली हर चार मौतों में से एक मौत इसकी वजह से होती है. धूम्रपान से खून में ट्राइग्लीसराईड बढ़ जाते हैं, इससे गुड कोलेस्ट्रॉल यानि एचडीएल में
कमी आ जाती है. जिससे खून जमने की संभावना बढ़ने लगती है. इस तरह दिल और दिमाग  में खून का प्रवाह ठीक तरह से नहीं हो पाता है.
वहीं खून
की वाहिकाओं में फैट, कोलेस्ट्रॉल, कैल्शियम आदि के रूप में प्लाक जमने लग
जाता है. जिसके चलते खून की वाहिकाएं मोटी और संकरी हो जाती हैं. जो हार्ट अटैक और
स्ट्रोक का कारण बन सकती हैं.

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हाइपरटेंशन
व अन्य रोग

सिगरेट पीने से हाइपरटेंशन, एरिथमिया और एथेरोस्क्लेरोसिस की
संभावना बढ़ जाती है. समय के साथ साथ ये समस्याएं गंभीर बीमारियों का रूप लेने लगती
हैं, जैसे कोरोनरी आर्टरी रोग, हार्ट
अटैक, स्ट्रोक, हार्ट फेलियर आदि. इन रोगों से बचाव के
लिए हमें धूम्रपान से दूर रहना चाहिए. और अगर आप धूम्रपान का सेवन करते हैं तो
जल्द से जल्द इस छोड़ दें. इसके लिए आप किसी अच्छे डॉक्टर की मदद ले सकते हैं.
धूम्रपान छोड़ने से आपके शरीर में बहुत सारे सकारात्मक बदलाव दिखने लगेंगे.

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सीओपीडी
का खतरा

सीओपीडी एक फेफड़ा संबंधित रोग है, जिसमें फेफड़ों में हवा का प्रवाह कम
होने के कारण सांस की समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं. सीओपीडी में एम्फायसेमा और
क्रोनिक ब्रोंकाइटिस शामिल हैं. सीओपीडी बीमारी के चलते फेफड़ों के वायु कोषों की
दीवारों को क्षति पहुंचती है, जिससे एयर ट्यूब्स स्थायी रूप से संकरी हो जाती हैं. इन ट्यूब्स के अंदर
म्युकस जम जाता है, जिसके चलते इनकी मोटाई बढ़ जाती है. सीओपीडी रोग होने का मुख्य
कारण धूम्रपान ही है. बचपन एवं किशोरावस्था में धूम्रपान की वजह से व्यस्क होने पर
सीओपीडी संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है.

डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के
लिए लिखा गया है, यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता. अत: अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से
संपर्क करें. 

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