भारत में आपको एक से एक रीति-रिवाज देखने को मिल जाएंगे. यहां कई धर्म के लोग रहते हैं, जिनकी भाषा, बोली, पहनावे और रिवाज में अंतर होता है. यहां तक की इनके त्योहार और खुशी जाहिर करने का तरीका भी बहुत अलग -अलग होता है. आपको हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, पारसी, बौद्ध, जैन, यहूदी धर्म के बारे में तो पता होगा, लेकिन शायद आप नहीं जानते कि भारत में अफ्रीका के लोग भी रहते हैं. इन अफ्रीकी लोगों ने भारत को अपना घर बना लिया है. वैसे तो भारत के लगभग हर शहर में इक्का दुक्का अफ्रीकी मिल जाएंगे, लेकिन गुजरात राज्य में पिछले 200 साल से अफ्रीकी मूल के लोग रह रहे हैं.

भारत में अफ्रीकी गांव

इस गांव में 200 साल से अफ्रीकी मूल के लोग रहते हैं. ये गुजरात की सिद्धी जनजाति के लोग हैं, जो गुजरात के जम्बूर गांव में रहते हैं. वास्तव में इस गांव का नजारा देखकर भारत में मिनी अफ्रीकी की झलक दिखाई देती है. तो आइए जानते हैं जम्बूर में रहने वाले सिद्धी अफ्रीकी गुजराती लोगों के बारे में.

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कौन हैं सिद्धी जनजाति के लोग

माना जाता है कि सिद्धी पूर्वी अफ्रीकी और अरब देशों में काम करने वाले मजबूरों के वंशज हैं. दक्षिण पूर्व अफ्रीका से बंटू मूल के कई हब्श यहां आए थे. इसलिए इन्हें हब्शी कहा जाता है. माना जाता है कि जूनागढ़ के नवाब द्वारा अफ्रीका के सिद्धियों को गुजरात लाया गया था. उन्होंने गुलामों के तौर पर इन लोगों को यहां के राजा-महाराजाओं के पास सौंप दिया था. बस तभी से ये लोग यहां बस गए. देखा जाए, तो पूरे भारत में आज 25000 सिद्धी मौजूद हैं.

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यहां की कहानी है मशहूर

यहां रहने वाले अफ्रीकी लोगों के अनुसार, जब जूनागढ़ के नवाब अफ्रीका गए थे, तो वे वहां अफ्रीकी महिला के प्यार में पड़ गए थे. जब ये महिला भारत आई, तो अपने साथ कई गुलामों को ले आई थी. ये लोग फिर लौटकर नहीं गए और गुजराती सिद्धी बनकर रह गए. असल में ये लोग कब और कैसे यहां आए हैं, कोई नहीं जानता, लेकिन इनका अस्तित्व भारत में 200 साल पुराना है.

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अफ्रीकी लोग बोलते हैं गुजराती

वैसे इस पूरी कहानी को पढ़कर आपको यकीन हो गया होगा कि ये अफ्रीकी लोग बात भी अफ्रीकी भाषा में ही करते होंगे. लेकिन ऐसा नहीं है. यह गांव सिर्फ इसलिए पर्यटकों के बीच प्रसिद्ध है, क्योंकि सिद्धी जनजाति के लोग अफ्रीकी नहीं बल्कि गुजराती बोलते हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)