हिंदू धर्म में रुद्राक्ष का एक अलग महत्व माना गया है. पूजा में जाप करने से लेकर इसे धारण करने तक की अपनी ही अलग-अलग मान्यताएं हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई थी. और इसे तभी से आभीषण की तरह धारण किया जाता है. शिव महापुराण में 16 तरह के रुद्राक्षों के बारे में बताया गया है. और सभी का अपना अलग महत्व है. आइए जानते हैं एक मुखी रुद्राक्ष के फायदों के बारे में.

कैसे करें असली रुद्राक्ष की पहचान?

एक अन्य तरीके से भी रुद्राक्ष के असली-नकली होने की पहचान कर सकते हैं. एक मुखी रुद्राक्ष को सरसों के तेल में डालें. अगर वह पहले रंग से ज्यादा गहरा दिखता है, तो इसका मतलब है कि ये असली रुद्राक्ष है. एक मुखी रुद्राक्ष में एक ही धारी होती है. अगर सही तरीके से असली- नकली की पहचान करनी है तो गर्म पानी में रुद्राक्ष को उबालें. अगर रुदाक्ष अपना रंग छोड़ता है, तो वे असली नहीं है.

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रोगों से मिलती है मुक्ति

ऐसा माना जाता है कि इसे धारण करने से व्यक्ति के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है. वहीं किसी जातक की कुंडली में सूर्य कमजोर स्थिति में होने पर भी एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने की सलाह दी जाती है. मान्यता है कि ये ब्लडप्रेशर और दिल से संबंधित रोगों से भी बचाता है.

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धन की प्राप्ति के लिए

ब्रह्मांड की कल्याणकारी वस्तुओं में एक मुखी रुद्राक्ष का नाम सबसे पहले आता है. रुद्राक्ष के प्रभाव से व्यक्ति अपनी इंद्रियों को वश में करने में सक्षम होता है. धन प्राप्ति में भी एक मुखी रुद्राक्ष फायदेमंद है. वहीं, छात्रों के लिए भी ये बहुत लाभकारी है. करियर में सफलता पाने के लिए एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने की सलाह दी जाती है.

कौन पहन सकता है रुद्राक्ष?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वैसे तो एक मुखी रुद्राक्ष कोई भी व्यक्ति धारण कर सकता है. लेकिन इसका संबंध सूर्य ग्रह से होने के कारण एक मुखी रुद्राक्ष सिंह राशि के जातकों के लिए विशेष फलदायी साबित होता है. बाकि अन्य राशि के लोग भी एक बार ज्योतिष से परामर्श के बाद ही एक मुखी रुद्राक्ष धारण करें.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)