जीवनशैली में साधारण से बदलाव से आपकी नींद की गुणवत्ता पर फर्क पड़ सकता है. आज के समय में लोग तनाव की समस्या से जूझ रहे हैं. तनाव की परेशानी से लोगों को रात में आसानी से नींद नहीं आती हैं. इसके लिए दुनिया की दिग्गज टेक कंपनी Google और Alphabet Inc के सीईओ सुंदर पिचाई तक एक अलग तरीका अपनाते है. 8 घंटे की नींद को 4 घंटे में पूरा करना नॉन स्लीप डीप रेस्ट यानी NSDR से ही पॉसिबल है, जो इस कम में समय में पूरे तरीके से आरामदायक नींद नहीं देता हैं. आइए जानते हैं कि है क्या ये नॉन स्लीप डीप रेस्ट तकनीक.

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क्या है नॉन स्लीप डीप रेस्ट तकनीक?

नींद की ये प्रक्रिया मेडिटेशन (Meditation) ही है. बता दें कि इसमें लेटे-लेटे ही ध्यान लगाया जाता है. आपको ये जानकर हैरानी होगी कि इस तकनीक से आपको जागते हुए भी सोने का फायदा कैसे मिल सकता हैं. इस समय दिमाग उस तरह आराम कर रहा होता है, जैसे की सोते समय होता है. ये तकनीक तनाव से मुक्त करके नींद दिलाती हैं. इसका लगातार अभ्यास करने से आप 8 घंटे की नींद को 4 घंटे में ही पूरा कर सकते हैं.

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कैसे किया जाता है NSDR?

इंसान के दिमाग में से कई प्रकार की न्यूरोन तरंगे निकलती हैं और इनमें से निकलने वाली अल्फा तरंग ही दिमाग को खुश रहने का संकेत देती हैं. मेडिटेशन और योग के द्वारा इन्हीं अल्फा तरंगों को एक्टिव करने का प्रयास किया जाता हैं. इन तरंगों के एक्टिव होने से सभी प्रकार का तनाव खत्म हो जाता हैं और दिमाग रिलैक्सिंग मोड में आ जाता है.

इस तरह करें NSDR की प्रेक्टिस?

-अपने बेड पर आप बेहद कम रोशनी या फिर अंधेरे में पीठ के बल लेट जाएं.

-इसके बाद शरीर को ढीला छोड़ दें और हाथ और पैर एकदम रिलैक्स कर दें.

-अब आप हथेलियों को खोलकर आसमान की ओर कर दें.

-गहरी सांस भरें और दाहिने पंजे पर ध्यान लगाएं और इसके बाद पंजे से सिर तक आने वाले सभी अंगों पर ध्यान लगाएं.

-इस प्रक्रिया के दौरान सांस को नॉर्मल रूप से अंदर और बाहर करते रहें.

-अब शरीर को एकदम से ढीला छोड़ दें और ध्यान की प्रक्रिया में रहें.

-बस कुछ ही देर में आप नींद के आगोश में होंगे.

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महाभारत काल में भी हुआ प्रयोग

आपको जानकारी के लिए बता दें कि पतंजलि योगसूत्र में भी इस नींद के तकनीन पर चर्चा की गई है.

इसके अलावा महाभारत काल में अर्जुन तक अपनी नींद के लिए इसी ध्यान की मदद ली थी. इस तकनीक के बारे में स्टैनफोर्ड स्कूल ऑफ मेडिसिन के वैज्ञानिक डॉ. एंड्रयू ह्यूबरमैन ने विस्तार से बताया हैं.

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