नाग पंचमी (Nag Panchami) का त्योहार (Festival) श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. हिंदू धर्म में सांपों की पूजा के इस पावन पर्व का बहुत महत्व है. नाग पंचमी के दिन भगवान शिव के आभूषण नाग देव की पूजा की जाती है.पौराणिक काल से सांपों की देवताओं की तरह पूजा की जाती है. हिन्दू धर्म में मान्यता ऐसी है कि नाग पूजन से सांपों के डसने का डर खत्म हो जाता है. नाग पंचमी के दिन विधि-विधान के साथ नाग देवता की पूजा की जाती है. इस लेख में हम आपको बताएंगे कि नाग पंचमी क्यों मनाई जाती है.

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जानें कैसे हुई नागों के अस्तित्व की रक्षा?

पौराणिक कथाओं के मुताबिक, द्वापर युग के अंतिम राजा अभिमन्यु के पुत्र राजा परीक्षित थे. वे अत्यंत धर्मशील थे और अपनी प्रजा के लिए कई यज्ञ अनुष्ठान करते थे. लेकिन इसके बाद भी तक्षक नामक सांप ने इन्हें मार दिया था. इससे क्रोधित होकर राजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने पृथ्वी से इनके नाश के लिए यज्ञ में सांपों की आहुति देनी शुरू की थी.

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एबीपी न्यूज के लेख के अनुसार, नागों की माता कद्रू ने अपनी शौतन विनता को धोखा देने के लिए अपने पुत्रों को आज्ञा दी. लेकिन पुत्रों ने माता की आज्ञा का पालन नहीं किया और सौतेली मां को धोखा देने से इंकार कर दिया. माता कद्रू ने नागों को शाप दिया. कद्रू के शाप से नाग जलने लगे और यह दिन सावन मास के शुक्ल की पंचमी तिथि थी.

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इसके बाद नाग ब्रह्मा जी के पास पहुंच गए. ब्रह्मा जी ने इसी दिन नागों को वरदान दिया कि तपस्वी जरत्कारु नाम के ऋषि का पुत्र आस्तिक नागों की रक्षा करेगा.

आपको जानकारी के लिए बता दें कि यज्ञ में नागों के समूल नाश के लिए उनकी आहुति के समय जब परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने इंद्र सहित तक्षक को अग्निकुंड में आहुति के लिए मंत्र पाठ किया. तो उस समय आस्तिक ने तक्षक के प्राण की रक्षा की. यह तिथि भी पंचमी ही थी. इस तरह से नागों के अस्तित्व की रक्षा हुई और उसी समय से नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा की परंपरा शुरू हुई.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है)

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