साल 2022 की शुरुआत के बाद से चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण का सिलसिला शुरू होने जा रहा हैं. साल 2022 में दो चंद्र ग्रहण लगने जा रहे हैं. साल का पहला पूर्ण चंद्र ग्रहण 16 मई 2022 को और दूसरा चंद्र ग्रहण 8 नवंबर 2022 को लगेगा. भारत में धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण को अशुभ माना जाता है और इस दौरान कई ऐसे कार्य हैं जिनको करने की मनाही हैं. सूर्य ग्रहण अमावस्या को और चंद्र ग्रहण पूर्णिमा के दिन लगता है. धार्मिक धारणाएं हैं कि सूतक और ग्रहण के दौरान कोई शुभ काम नहीं करना चाहिए. इस दौरान राहु और केतु का प्रकोप रहता है, जिससे बने काम भी बिगड़ जाते हैं.

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साल का पहला चंद्र ग्रहण

भारतीय समयानुसार पहला चंद्र ग्रहण 16 मई 2022 को सुबह 08:59 बजे से लेकर 10:23 बजे तक रहेगा. यह पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा. भारत में इस चंद्र ग्रहण की दृश्यता शून्य होगी, इसलिए यहां इसका सूतक काल (Sutak Kaal) नहीं लगेगा.

साल का पहला चंद्र ग्रहण दक्षिणी-पश्चिमी यूरोप,दक्षिण अमेरिका,हिंद महासागर,दक्षिणी-पश्चिमी एशिया,अटलांटिक, प्रशांत महासागर,अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका के अधिकांश हिस्सों में और अंटार्कटिका में भी दिखाई देगा. क्योंकि भारत में यह चंद्र ग्रहण नजर नहीं आएगा, इसलिए यहां इसका सूतक काल प्रभावी नहीं होगा.

पहला पूर्ण चंद्र ग्रहण 16 मई 2022 को लगेगा. 

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दूसरा चंद्र ग्रहण

दूसरा चंद्र ग्रहण 8 नवंबर को लगेगा. यह भी भारत समते कई देशों में देखा जा सकेगा. पूर्ण चंद्र ग्रहण होने के कारण इसमें भी सूतक मान्य होगा. चंद्र ग्रहण का समय दोपहर 1:32 मिनट पर शुरू होकर शाम में 7:27 मिनट पर समाप्त होगा. इस दौरान ग्रहण के सभी नियमों का पालन जरूरी है.

किन जगहों पर नजर आएगा साल का दूसरा

इस चंद्र ग्रहण उत्तर-पूर्वी यूरोप,अधिकांश दक्षिण अमेरिका, हिंद महासागर, उत्तरी अमेरिका,अटलांटिक,एशिया, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर आर्कटिक और अंटार्कटिका दिखाई देगा. यह चंद्र ग्रहण भारत में भी दिखेगा, इसलिए इसका सूतक यहां भी प्रभावी रहेगा.

दूसरा चंद्र ग्रहण 8 नवंबर को लगेगा.

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ग्रहण कैसे लगता है?

वैज्ञानिकों के मुताबिक, चंद्र ग्रहण एक महत्वपूर्णं खगोलीय घटना होती है. जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आती है तो चंद्रमा पूरी तरह या आंशिक रूप से ढक जाता है और सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में आते हैं तो इसे चंद्र ग्रहण कहते हैं. वहीं शास्त्रों के मुताबिक, जब ग्रहण पूर्ण रूप से लगता है तो इसका प्रभाव ज्यादा होता है. जब पूर्णं चंद्र ग्रहण लगता है तभी सूतक के नियमों का पालन करने की सलाह दी जाती है लेकिन उपछाया ग्रहण है तो सूतक के नियमों का पालन करने की जरूरत नहीं होती है.

(डिस्क्लेमर: यह खबर सामान्य जानकारी के आधार पर लिखी गई है, इसकी पुष्टि Opoyi Hindi नहीं करता है. इसपर अमल करने से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें.)

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