700 Yar Old Marriage Tradition: ऐसा कहा जाता है कि जोड़ियां उपर से तय होकर आती हैं. लेकिन बिहार (Bihar) के मधुबनी के सौराठ गांव में वर्ष में एक बार सभा लगती है, जहां अधिक संख्या में वर-वधू का चुनाव होता है. इस सभा का नाम सौराठ सभा है. आयोजित इस सभा में लोग अपने शादी के लिए बच्चों को लेकर पहुंचते हैं और अपनी पसंद से बातचीत कर शादियां तय करते हैं. मिथिला में 700 वर्ष से चलने वाली इस परंपरा का आज के समय में निर्वहन किया जा रहा है.

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सात से 11 दिनों तक लगता है ये मेला

ज़ी न्यूज़ के अनुसार, इस सभा में भावी वर-वधू के रिश्तेदार और माता-पिता आते हैं और फिर पंजीकार से वंशावली की जांच कर शादियां न सिर्फ तय होती हैं बल्कि कई शादियां भी कर दी जाती हैं. मिथिलांचल इलाके में मैथिल ब्राह्मण दूल्हों का यह मेला प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ या फिर अषाढ़ के महीने में सात से 11 दिनों तक लगता है. इस दौरान कन्याओं के पिता योग्य वर को चुनते हैं. आज के समय में इस सभा का महत्व कम हो गया है. लेकिन आज भी यह परंपरा जारी है.

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सौराठ सभा समिति के सचिव डॉ शेखर चंद्र मिश्र ने बताया कि इस सभा के लिए सुपारी, धोती और पंजीकार पान लेकर आसपास के गांवों में लोगों को निमंत्रण देने के लिए पहुंचते थे.

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बाद में ये परंपरा खत्म हो गई. लेकिन इस वर्ष दुबारा से इसकी शुरूआत की गई है. इस साल यह सभा 30 जून से शुरू हुई है, जो आठ जुलाई तक चलेगी. उन्होंने कहा कि यह करीब 700 वर्षों से बिना रूके यह सभा चल रही है. इस साल भी 250 से 300 शादियां तय होने की उम्मीद है.

 इस सभा का मुख्य उद्देश्य समगोत्री विवाह को रोकना और संबंधों में शुचिता बनाए रखना है. उन्होंने कहा कि दहेज उन्मूलन के लिए भी यह सभा एक आदर्श है. 

 (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)