भारतीय संस्कृति में देवताओं के पूजा-पाठ का बड़ा महत्व है. सनातन धर्म में सूर्य को जल देने की परंपरा है. वैदिक काल से चली आ रही यह परंपरा आज भी निभाई जाती है. सारी सृष्टि को ऊर्जा और प्रकाश देने वाला सूर्य ही हैं. ज्योतिष में सूर्य को स्वास्थ्य, पिता, आत्मा का कारक माना जाता है. अगर कुंडली में सूर्य मजबूत होता है. तो व्यक्ति को यश की प्राप्ति होती है. ऐसे में सूर्य को जल देने से जीवन से अधिकतर परेशानियों से छुटकारा मिल सकता है.

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महाभारत और रामायण में भी सूर्य की पूजा के महत्व का उल्लेख किया गया है. भगवान राम खुद सूर्य देव की पूजा करते थे और उन्हें जल से अर्घ्ध देते थे. सूर्य को प्रत्यक्ष देवता माना जाता है क्योंकि हर दिन इनके दर्शन प्राप्त होते हैं. अगर आप रविवार के दिन सूर्य देव को जल अर्पित करते है. तो आपको सातों दिन जल अर्पित करने जितना फल प्राप्त होता है.

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यहां हम आपको बातएंगे कि जब आप रविवार के दिन सूर्य देव को जल अर्पित करते है. तो इन बातों का खास ख्याल रखना भी बेहद जरूरी है.आइए जानते है.

बिना स्नान किए सूर्य को कभी भी जल अर्पित नहीं करना चाहिए. यदि जल चढ़ाते के बाद इसके छींटे आपके पैरों पर पड़ते हैं तो इसमें कोई दोष नहीं होता है.

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सूर्य को पिता का कारक माना जाता है. इसलिए जो व्यक्ति सूर्य को अर्घ्य देते हैं. उन्हें अपने पिता और परिवार का विशेष सम्मान करना चाहिए.

हिन्दू शास्त्रों के अनुसार सूर्य के दुष्प्रभावों से बचने के लिए सूर्य की कारक वस्तुओं का दान करना चाहिए. इनमें गुड़, मसूर दाल और तांबा आदि का दान कर सकते है. ऐसा माना जाता है कि प्रत्येक रविवार को दान करना चाहिए. साथ ही, सूर्य ग्रहण के दिन भी वस्तुओं का दान लाभकारी बताया गया है.

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यदि आप शिक्षा संबंधी या एकाग्रता को बढ़ाना चाहते हैं. तो सूर्य को अर्घ्य देने वाले जल में नीला रंग मिलाएं. ऐसा करने से शुभ फल प्राप्त होंगे.

अगर कोई नौकरी में प्रमोशन या फिर गंभीर बीमारी से निजात पाना चाहते हैं. तो रविवार को भगवान सूर्यदेव को जल अवश्य चढ़ाना चाहिए. इससे मनोकामना पूरी हो सकती है.

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हिन्दू धर्म में ऐसा माना जाता है कि सूर्य देव की कृपा पाने के लिए मंत्र जाप अधिक लाभकारी होते है. आप ‘ओम घूणि: सूर्य आदित्य:’ मंत्र का रोजाना से जाप करें. रविवार के दिन किया मंत्र जाप विशेष रूप से फल प्रदान करता है. इसे 10-20 है या फिर 108 बार भी कर सकते हैं.

सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए या फिर कुंडली में सूर्य के दुष्प्रभावों को खत्म करने के लिए सूर्य से संबंधित हवन कराना सही माना जाता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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