Women Reservation Bill: सभी सांसद पूराने संसद को छोड़ नए संसद भवन में आ गए. इसके साथ ही संसद का विशेष सत्र शुरू हो चुका है. इसमें सत्ताधारी दल बीजेपी ने महिला आरक्षण बिल (Women Reservation Bill) को लोकसभा में पेश कर चुनाव से पहले बड़ा मास्टरस्ट्रोक खेला है. हालांकि, इस पर विपक्ष की पूरी तैयारी है. दोनों ओर से महिला आरक्षण बिल पर सहमती है लेकिन इसके बावजूद इस बिल पर संसद में लगातार तकरार देखने को मिल रही है. इस पर सवाल भी उठाए जा रहे हैं. हालांकि, जो सवाल उठाए जा रहे हैं उसका सीधा और सटिक जवाब सत्ताधारी दल के पास अब तक नहीं दिख रहा है. तो चलिए आपको बतातें है बिल पर तकरार क्यों हो रही है.
Women Reservation Bill पर किस बात की तकरार
महिला आरक्षण बिल संसद में पहली बार नहीं आई है. ये पहले भी कई बार संसद में पेश हो चुकी है. लेकिन इसमें प्रावधानों और सत्ता की अगुवाई करने वाली सरकार का डर इसके अरचन बनते रहे हैं. बीजेपी ने खुद इसे कई बार पेश किया. जबकि 2014 से पहले मनमोहन सरकार में तो राज्यसभा में ये बिल पास भी हो चुका है. लेकिन इसके बावजूद लोकसभा में पेश तक नहीं किया गया था. वहीं, 2014 से आई बीजेपी की मोदी सरकार अपने मेनिफेस्टो में महिला बिल लागू करने की बात कर दो बार वोट ले चुकी है. अब इसे लोकसभा के पटल पर रखकर 2024 को साधने के लिए भी तैयार है.
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महिला आरक्षण बिल को किसी भी सदन या किसी भी राजनीतिक पार्टियों द्वारा विरोध नहीं है. सभी सर्वसम्मति से इस बिल को पास करने को तैयार है. लेकिन इसमें बिल में 334A का प्रावधान सबसे बड़ी अड़चन बन रही है. क्योंकि बिल में संसद और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फ़ीसदी आरक्षण का प्रस्ताव था. इस 33 फीसदी आरक्षण के भीतर ही अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए उप-आरक्षण का प्रावधान था. लेकिन अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं था. वहीं, अल्प संख्यकों को भी इसमें जोड़ा नहीं गया है.
अब विपक्ष पिछड़ा, अन्य पिछड़ा और अल्प संख्यकों को भी इसमें जोड़ने की मांग कर रही है. विपक्ष का कहना है कि, जब एससी-एसटी को हम आरक्षण दे रहे हैं तो फिर पिछड़ों और अल्प संख्यकों को आरक्षण देने में क्या दिक्कत है. इसके साथ ही जातिगत जणगणना की भी बात की जा रही है जिससे आरक्षण देने में आसानी होगी.
अगर यह बिल क़ानून बन जाता है तो 2024 के चुनाव में महिलाओं को 33 फ़ीसदी आरक्षण मिल जाएगा. इससे लोकसभा की हर तीसरी सदस्य महिला होगी.