मुलायम सिंह यादव जिन्हें समाजवाद युग के नेता के रूप में जाना जाता था. उनेक निधन के बाद उस समाजवाद युग अंत माना जा रहा है. 82 साल की उम्र में मुलायम सिंह के निधन के बाद नेताजी के सियासी युग का अंत हो गया है. मुलायम सिंह यादव के जमीनी नेता थे उन्होंने एक कार्यकर्ता के रूप में सियासत शुरू की और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. इतना ही नहीं वह केंद्र में भी रक्षा मंत्री के पद को संभाला. मुलायम सिंह यादव का ‘नेता जी’ बनने का सफर काफी लंबा रहा है. चलिए आपको बताते हैं कि उन्हें ‘नेता जी’ क्यों कहा जाता था. मुलायम सिंह यादव एक नेता थे उनके कामों और उनकी व्यक्तित्व और उनकी सोच के लिए उन्हें ‘नेता जी’ कहा जाता था.

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मुलायम सिंह यादव ने शुरुआत में सियासत से नहीं जुड़े थे. बल्कि वह एक पहलवान थे. इसके बाद उन्होंने एक शिक्षक के रूप में काम किया. लेकिन वह कहा जाता है कि उन्होंने अपने राजनीतिक करियर महज 15 साल की उम्र में ही शुरू कर दी थी. 1954 में महान समाजवादी नेता डॅा. राममनोहर लोहिया के नहर रेट आंदोलन में भाग लिया और जेल गए. राजनीति के दांवपेंच उन्होंने 60 के दशक में लोहिया और चरण सिंह से सीखने शुरू कर दिये थे.

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कैसे बने नेता जी

मुलायम सिंह अपने व्यक्तित्व की वजह से देश और उत्तर प्रदेश की सियासत में मुखर कर सामने आए. ऐसा कहा जाता था कि वह शुरुआती दौर में लखनऊ में साइकिल सवारी करते दिख जाते थे. वह लोगों से जाकर मुलाकात करते थे. साइकिल पर ही घूम-घूम कर ही पार्टी का प्रचार किया. उन्हें उसी वक्त से जमीनी नेता माने जाने लगा.

1954 में समाजवादी नेता डॅा. राममनोहर लोहिया के नहर रेट आंदोलन में हिस्सा लिया और जेल गए. लोहिया ही उन्हें राजनीति में लेकर आए. मुलायम सिंह यादव 1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर पहली बार UP विधानसभा पहुंचे. इसके बाद 1977-78 में मुलायम सिंह यादव को उत्तर प्रदेश सरकार में सहकारिता एंव पशुपालन मंत्री बनाया गया. इसके साथ ही शुरू हो गई ‘नेताजी’ बनने की कहानी. 80 के दशक तक अपने राजनीतिक गुरु चौधरी चरण सिंह के साथ मिलकर इंदिरा गांधी को वंशवाद के मुद्दे पर घेरते रहे, लेकिन जैसे ही चौधरी साहब ने राष्ट्रीय लोकदल में अमेरिका से लौटे अपने बेटे अजित सिंह को पार्टी में अहमियत देनी शुरू की, मुलायम सिंह का सपना टूटने लगा, ऐसे में उनकी उड़ान और तेज हो गई और बन गए नेताजी.

चौधरी चरण सिंह के निधन के बाद जब लोकदल टूट गया तो पार्टी के बिखरे नेताओं की अगुवाई मुलायम सिंह यादव करने लगे और साल 1992 में उन्होंने समाजवादी पार्टी का गठन किया.कहते हैं मुलायम सिंह यादव ने प्रदेश की राजनीति में पिछड़े समाज की खूब राजनीति की, उत्तर प्रदेश में यादव समाज के सबसे बड़े नेता के रूप में मुलायम सिंह की पहचान हो गई. राम मंदिर आंदोलन के शुरुआती दिनों में वो मुस्लिमों के पसंदीदा नेता बन गए.

आपको बता दें, मुलायम सिंह यादव 1967 से लेकर 1996 तक 8 बार विधायक रहे. 1982 से 87 तक विधान परिषद के सदस्य भी रहे. 1996 से अब तक वह 7 बार लोकसभा सांसद के रूप में चुने गए. मुलायम सिंह यादव तीन बार यूपी के मुख्यमंत्री भी बने. पहली बार वह 1989 में सीएम बने इसके बाद 1993 से 95 में दूसरी बार सीएम बने जबकि 2003 से 2007 के बीच वह तीसरी बार मुख्यमंत्री बने.