Who is Justice BV Nagarathna: साल 2016 में पूरे भारत में नोटबंधी का ऐलान किया गया, उस प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया है. सर्वोच्च अदातलत ने 2 जनवरी को ये फैसला सुनाया जिसमें उन्होंने इससे जुड़ी अलग-अलग लगीं 58 याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि नोटबंदी के फैसले में कोई गड़बड़ी नजर नहीं आती है. 5 जजों की बेंच में 4 ने इसपर सहमती जताई जबकि एक जज ने इसमें असमहति जताई. उनका नाम बीवी नागरत्ना है. चलिए बताते हैं बीवी नागरत्ना कौन हैं और उन्होंने क्या कहा?
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कौन हैं बीवी नागरत्ना? (BV Nagarathna)
30 अक्टूबर, 1962 को कर्नाटक के पन्दवापुरा में जन्मीं बीवी नागरत्ना ने जीसस एंड मैरी कॉलेज से ग्रेजुएशन किया. इसके बाद दिल्ली के लॉ कॉलेज से वकालत की. साल 2008 में कर्नाटक हाईकोर्ट में बतौर एडिशन जज बनकर आईं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 1975 में नागरत्ना ने बी एन गोपाला कृष्णा से शादी की थी. उनसे उन्हें दो बेटियां नयनतारा बीजी और प्रेरणा बीजी हैं. जानकारी के लिए बता दें कि नागरत्ना के पिता ईएस वेंकटरमैया भी सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस थे.
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बीवी नागरत्ना का करियर (BV Nagarathna Career)
कर्नाटक हाई कोर्ट में दो साल के बाद वे स्थायी जज बन गईं. जस्टिस बीवी नागरत्ना के कई फैसलों को महत्वपूर्ण बताया गया. साल 2012 में केंद्र को ब्रॉडकास्ट मीडिया को रेगुलेट करने के निर्देश मिले थे तब हाई कोर्ट में नागरत्ना ही जस्टिस थीं. साल 2019 में जस्टिस नागरत्ना की बेंच ने बड़ा फैसला सुनाया था जिसमें कहा गया था कि मंदिर व्यावसायिक प्रतिष्ठान नहीं हैं, उसके कर्मचारी ग्रेच्युटी के हकदार नहीं हैं.
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बीवी नागरत्ना कब बनी सुप्रीम कोर्ट की जज?
साल 2021 में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बीवी नागरत्ना को सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज नियुक्त किया गया था. ऐसी खबरें हैं कि साल 2027 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति मिल सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि उनकी सीनियोरिटी ज्यादा है और उनका करियर भी अच्छा रहा है.
2 जनवरी, 20223 को नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंचों में से 4 ने उस फैसले को सही बताया जबकि अकेली जस्टिस बीवी नागरत्ना ने इसपर असहमति जताई है.
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उन्होंने कहा, ‘नोटबंदी का प्रस्ताव केंद्र सरकार की ओर से आया. RBI की राय मांगी गई थी जिसके अधिनियम की धारा 26(2) का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि रिजर्व बैंक की राय को किसी भी तरह की सिफारिश नहीं मान सकते. नागरत्ना के मुताबिक, नोटबंदी अगर करनी ही थी तो इसका फैसला RBI का होना चाहिए था ना कि केंद्र सरकार का. साल 2016 में ऐसा नहीं किया गया इसलिए कानूनी तौर पर नोटबंदी को सही नहीं ठहराना गलत है.’