Who is Anand Mohan: आनंद मोहन बिहार के सहरसा जिले के पचगछिया गांव के रहने वाले हैं. उनके दादा राम बहादुर सिंह एक स्वतंत्रता सेनानी थे. आनंद मोहन (Who is Anand Mohan) की राजनीति में एंट्री 1974 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण की संपूर्ण क्रांति के दौरान हुई थी. आनंद मोहन ने महज 17 साल की उम्र में राजनीति में कदम रखा था. जिसके बाद उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई छोड़ दी थी. आपातकाल के दौरान पहली बार उन्हें दो साल की जेल हुई थी. आनंद मोहन का नाम उन नेताओं में शामिल है जिनकी नाम 1990 के दशक में बिहार की राजनीति में बोलती थी.

जेपी आंदोलन के माध्यम से, आनंद मोहन ने बिहार की राजनीति में प्रवेश किए और 1990 में सहरसा जिले की महिषी सीट से जनता दल के टिकट पर चुनाव जीता. उस वक़्त बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव थे. उन्होंने स्वर्णों के अधिकार के लिए 1993 में बिहार पीपुल्स पार्टी का गठन भी किया. आनंद मोहन लालू यादव के विरोध में राजनीति में फले-फूले.

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आनंद मोहन लालू के कट्टर विरोधी माने जाते थे

बिहार की राजनीति में जब भी कद्दावर और दमदार नेताओं की बात होती है तो लोग आनंद मोहन सिंह का नाम जरूर लेते हैं. जब से बिहार की राजनीति शुरू हुई है तब से जाति के नाम पर चुनाव होते रहे हैं और लड़े जाते रहे हैं. 90 के दशक में बिहार की राजनीति में एक दौर ऐसा भी आया जब ऐसा सामाजिक ताना-बाना बुना गया कि जातिगत युद्ध सामने आ गया और राजनेता भी अपनी-अपनी जातियों के लिए खुलकर बोलते नजर आए. और आनंद मोहन ने भी लालू यादव के खिलाफ जमकर आवाज बुलंद किया.

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पिछले 15 सालों से काट रहे हैं सजा

एक आईएएस अधिकारी की हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट से दोषी ठहराए जाने के बाद वह पिछले 15 साल से बिहार की सहरसा जेल में सजा काट रहा है. वह उन 27 कैदियों में शामिल हैं, जिन्हें जेल नियमों में संशोधन के बाद बिहार की जेल से रिहा किया जाएगा. नियमों में बदलाव और आनंद मोहन सिंह की रिहाई से राजनीतिक गलियारे में बवाल मच गया है.