शरद यादव (Sharad Yadav) का 75 साल की उम्र में निधन हो गया है. 12 जनवरी 2023 को गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली. शरद यादव काफी समय से बीमार थे और उनका इलाज चल रहा था. लेकिन गुरुवार 12 जनवरी को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया. भारतीय राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाने वाले हिंदी क्षेत्र के दिग्गज नेताओं में से एक थे. मुलायम सिंह, लालू यादव और देवगौड़ा जैसे दिग्गज नेताओं के साथ उन्होंने राजनीति की शुरुआत की थी.भारतीय राजनीति में शरद यादव के योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा.

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शरद यादव के निधन पर देश के दिग्गज नेताओं ने शोक व्यक्त किया है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शरद यादव के निधन पर कहा, शरद यादव जी के निधन से बहुत दुख हुआ. अपने लंबे सार्वजनिक जीवन में उन्होंने खुद को सांसद और मंत्री के रूप में प्रतिष्ठित किया. वे डॉ. लोहिया के आदर्शों से काफी प्रभावित थे.मैं हमेशा हमारी बातचीत को संजो कर रखूंगा.उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं. शांति.

वहीं, गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, शरद यादव जी के निधन का दु:खद समाचार प्राप्त हुआ. शरद यादव जी ने दशकों तक बिहार व भारतीय राजनीति में अपना बहुमूल्य योगदान दिया. दुःख की इस घड़ी में उनके परिजनों व समर्थकों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूँ. ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें. ॐ शांति शांति.

दिग्गज नेता लालू यादव ने भी शरद यादव के निधन पर शोक जताया और कहा, अभी सिंगापुर में रात्रि में के समय शरद भाई के जाने का दुखद समाचार मिला. बहुत बेबस महसूस कर रहा हूँ. आने से पहले मुलाक़ात हुई थी और कितना कुछ हमने सोचा था समाजवादी व सामाजिक न्याय की धारा के संदर्भ में. शरद भाई…ऐसे अलविदा नही कहना था. भावपूर्ण श्रद्धांजलि!

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, शरदजी के साथ मेरा बड़ा लंबा और बेहद आत्मीय संबंध रहा है. स्वभाव से बेहद सरल और बेबाक़ शरदजी का निधन एक बड़ी क्षति है. दुःख की इस घड़ी में मैं उनके शोकाकुल परिवार और समर्थकों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूँ. ओम् शांति! उन्होंने आगे कहा, आपातकाल के दौरान लोकतंत्र की रक्षा के लिए भी उन्होंने काफ़ी संघर्ष किया. उनके निधन से भारतीय राजनीति की एक प्रभावी आवाज़ ख़ामोश हो गई है. पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं देश के बड़े वरिष्ठ नेता श्री शरद यादव जी के निधन से मुझे गहरी वेदना की अनुभूति हुई है. अपने लंबे राजनीतिक जीवन में उन्होंने हमेशा समाज के कमज़ोर वर्गों की समस्याओं को पुरज़ोर तरीक़े से उठाया.