भारतीय दवा बनाने वाली कंपनी जायडस कैडिला की वैक्सीन जायकोव-डी (ZyCoV-D) जल्द ही बच्चों के वैक्सीनेशन के लिए उपलब्ध कराई जा सकती है. कंपनी ने ZyCoV-D के इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए भारत के औषधि महानिंयत्रक (DCGI) से मंजूरी मांगी है. जायडस कैडिला की इस वैक्सीन की उपलब्धता पर नीति आयोग के सदस्य(स्वास्थ्य) डॉ वीके पॉल ने अपडेट दिया है. 

बता दें कि भारत सरकार ने पिछले शनिवार को सुप्रीम कोर्ट को कोरोना वैक्सीन की उपलब्धता से जुड़े आंकड़े के संबंध में कहा था कि कि जायडस कैडिला की ZyCoV-D वैक्सीन जुलाई-अगस्त तक 12 वर्ष से अधिक की उम्र वाले बच्चों के लिए उपलब्ध हो जायेगी. बता दें कि भारत सरकार ने अभी तक तीन वैक्सीनों को आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दी हुई है, इसमें कोविशील्ड, कोवैक्सिन और स्पुतनिक वी शामिल है. ये सभी दो डोज वाली वैक्सीन हैं.

डॉ वीके पॉल ने वैक्सीन को लेकर कहा, “जायडस कैडिला की एप्लीकेशन डी सी जय के पास है. सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी के द्वारा मूल्यांकन प्रक्रिया हो रही है. हमें उम्मीद है कि जल्दी और पॉजिटिव फैसला होगा क्योंकि हमारे लिए ये वैक्सीन एक गौरव का क्षण है. यूनीक टेक्नॉलॉजी है दुनिया में पहली बार.”

डॉ वीके पॉल ने आगे कहा, “अगर ये वैक्सीन सभी साइंटिफिक पैरामीटर से उभरकर आता है तो हमारे वैक्सीन कार्यक्रम में इसकी वजह से बहुत तेज गति और उर्जा आएगी. हम इसका इंतज़ार कर रहे है. दाम के बारे में अभी उन्होंने हमें नहीं बताया है. ये उनसे ही पता करना होगा.” 

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बिना सुई के कैसे लगेगी ये वैक्सीन

जायडस कैडिला कंपनी की यह नई वैक्सीन ZyCoV-D बिना सुई के लगाई जाएगी. यह भारत की पहली वैक्सीन है जो 12 से 18 साल तक के बच्चों के लिए सुरक्षित बताई जा रही है. इस वैक्सीन को लगाने के लिए सुई की जरूरत नहीं होती. इस वैक्सीन को फार्माजेट सुई रहित तकनीक (PharmaJet needle free applicator) तकनीक की मदद से लगाया जाएगा. इस वैक्सीन को दिना सुई वाले इंजेक्शन में भरा जाता है, जिसके बाद उसे एक मशीन में लगाकर वैक्सीन लगवाने वाले व्यक्ति की बांह पर लगाना होता हैं. फिर मशीन पर लगे बटन को दबाने के बाद टीका की दवा शरीर के अंदर चली जाती है. हालांकि इस वैक्सीन की तीन डोज लेनी आवश्यक होंगी.

यह वैक्सीन बर्बाद नहीं हो सकती

कंपनी ने हर साल इस वैक्सीन की 10 से 12 करोड़ डोज बनाने की बात कही है. इस नई वैक्सीन के साथ बाकी वैक्सीन जैसा झंझट नहीं है. इस वैक्सीन को स्टोर करने के लिए बाकी वैकसीन की तरह बेहद ठंडे तापमान की जरूरत नहीं होती, इससे होगा ये कि जैसे बाकी वैक्सीन के बर्बाद होने की खबर सामने आई थी ऐसा इस वैक्सीन के साथ नहीं होगा क्योंकि इस वैक्सीन की थर्मोस्टेबिलिटी काफी अच्छी है.  

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क्या पालस्मिड आधारित DNA वैक्सीन

पालस्मिड आधारित DNA वैक्सीन के जरिए एंटीजन-विशिष्ट इम्यूनिटी को बढ़ाने का काम किया जाता है, जिससे मनुष्य के शरीर को इन्फेक्शन से लड़ने में मदद मिलती है. इस नई वैक्सीन को 2 से 8 डिग्री तक के तापमान में रखा जा सकता है. जायडस की वैक्सीन टीके को लेवल 1 की लैब में ही बनाया जा सकता है. इससे वैक्सीन के बड़े पैमाने पर उत्पाद में आसानी होती है साथ ही इससे वैक्सीन ज्यादा कारगर साबित होती है.

यह वैक्सीन कितनी भरोसेमंद है

इस वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल के लिए करीब 28 हजार लोगों ने भाग लिया था. भारत में किसी भी वैक्सीन पर इससे अधिक संख्या में ट्रायल नहीं हुआ हैं. इस वैक्सीन को 66 प्रतिशत प्रभावी माना जा रहा है. जिन लोगों को अब तक यह वैक्सीन लगी हैं उनमें कोरोना संक्रमण के सामान्य लक्षण ही देखे गए हैं.

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