सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने 9,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के बैंक ऋण धोखाधड़ी के आरोपी और भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या (Vijay Mallya) को अवमानना ​​के मामले में चार महीने की जेल और 2000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने विदेश में ट्रांसफर किए गए 40 मिलियन डॉलर को 4 हफ्ते में चुकाने के लिए भी कहा है. अगर माल्या ऐसा करने में विफल रहते हैं, तो संपत्तियों को कुर्क किया जाएगा.

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जुर्माना न देने पर बढ़ेगी सजा

इसके अलावा, अगर माल्या द्वारा जुर्माना नहीं दिया गया, तो सजा 2 महीने और बढ़ाई जा सकती है. माल्या को अवमानना के लिए साल 2017 में एसबीआई (SBI) के नेतृत्व वाले बैंकों के संघ द्वारा दायर एक मामले में दोषी करार दिया गया था. साल 2020 में उच्चतम न्यायालय ने 2017 के फैसले पर पुनर्विचार के लिए माल्या की पुनरीक्षण याचिका खारिज की थी. न्यायालय ने उन्हें अपने बच्चों के अकाउंट में चार करोड़ डॉलर भेजने को लेकर अवमानना का दोषी माना था.

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इस मामले की सजा की अवधि तय करने संबंधी न्यायमूर्ति ललित, न्यायमूर्ति एस रवीन्द्र भट और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने अपना फैसला 10 मार्च को ही सुरक्षित रख लिया था और कहा था कि माल्या के खिलाफ सुनवाई में अब प्रगति नहीं हो सकती है. उच्चतम न्यायालय ने कई पहलुओं पर वरिष्ठ अधिवक्ता और न्याय मित्र जयदीप गुप्ता की दलीलें सुनीं, जिसके बाद फैसला सुरक्षित रखा गया.

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पहले पीठ ने माल्या का प्रतिनिधित्व कर चुके वकील को 15 मार्च तक लिखित दलीलें पेश करने की अनुमति भी दी थी. लेकिन माल्या के वकील ने 10 मार्च को कहा था कि ब्रिटेन में रह रहे माल्या से कोई निर्देश नहीं मिला है. ऐसे में वह अवमानना के मामले में दी जाने वाली सजा की अवधि को लेकर माल्या का पक्ष रख पाने में असहाय हैं.